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बम धमाका: क्या टेलर राजा की गिरफ्तारी से खुलेंगे 1998 कोयंबटूर ब्लास्ट के राज़ ?

Coimbatore Blast 1998 Accused Arrested: 1998 के कोयंबटूर बम धमाके का आरोपी दर्जी राजा आखिरकार 29 साल बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। ATS ने उसे कर्नाटक के विजयपुरा से पकड़ा और कोर्ट ने 24 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेजा।

भारतJul 10, 2025 / 05:05 pm

M I Zahir

Coimbatore Blast 1998 Accused Arrested

कोयंबटूर बम धमाके के आरोपी टेलर राजा को पुलिस रिक्रूट स्कूल परिसर से लाया और रखा गया है। ( फोटो : एएनआई.)

Coimbatore Blast 1998 Accused Arrested: तमिलनाडु के बहुचर्चित 1998 कोयंबटूर बम विस्फोट (Coimbatore blast 1998) मामले में एक बड़ी सफलता सामने आई है। करीब 29 साल तक फरार रहने वाले आरोपी टेलर राजा ( Raja arrested) को आखिरकार पुलिस ने पकड़ लिया है। कोर्ट ने उसे 24 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। कर्नाटक के विजयपुरा जिले से सादिक उर्फ ​​टेलर राजा (Tamil Nadu bomb blast accused) की गिरफ्तारी हुई है। यह आतंकवाद से संबंधित मामलों में लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी की तीसरी सफल गिरफ्तारी है। सन 1998 में हुए विस्फोट में 58 लोगों की जान चली गई थी और 250 लोग घायल हुए थे, जब 14 से 17 फरवरी, 1998 के बीच तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर में 19 बम विस्फोट हुए थे। ध्यान रहे कि घटना के बाद तमिलनाडु सरकार ने ‘उम्मा’ संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके संस्थापक बाशा इस घटना के मास्टरमाइंड थे।

आखिर कौन है दर्जी राजा ?

गिरफ्तार आरोपी की पहचान सादिक उर्फ राजा, उर्फ दर्जी राजा, उर्फ वलारंथा राजा, उर्फ शाहजहां अब्दुल मजीद मकानदार के रूप में हुई है। पुलिस के मुताबिक, यह कोयंबटूर का रहने वाला है और 1996 के बाद से पूरी तरह फरार था।

उसकी कहां से हुई गिरफ्तारी ?

आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS) और कोयंबटूर पुलिस की संयुक्त टीम ने एक गुप्त सूचना के आधार पर कर्नाटक के विजयपुरा जिले से सादिक को गिरफ्तार किया।
यह गिरफ्तारी हाल के समय की तीसरी बड़ी सफलता है, जिसमें वांछित आतंकियों को पकड़ा गया है।

आखिर किन मामलों में शामिल है यह आरोपी ?

टेलर राजा पर कई बड़े आतंकी और सांप्रदायिक हमलों में शामिल होने का आरोप है:

1998 कोयंबटूर बम धमाके, जिसमें 58 लोगों की मौत और 250 घायल हुए थे।
1996 में पेट्रोल बम हमला, जिसमें जेल वार्डन बूपालन की जान गई थी।

1996 नागोर सईथा हत्याकांड

1997 मदुरै में जेलर जयप्रकाश की हत्या

1998 का कोयंबटूर ब्लास्ट: क्या हुआ था?

सन 14 से 17 फरवरी 1998 के बीच कोयंबटूर शहर में 19 बम विस्फोट हुए थे। ये बम कारों, स्कूटर, लावारिस बैगों और चाय के डिब्बों में छुपाकर रखे गए थे। इस खौफनाक घटना के बाद तमिलनाडु सरकार ने ‘उम्मा’ संगठन पर बैन लगा दिया था, जिसका संस्थापक बाशा इस साजिश का मास्टरमाइंड माना गया था।

कोर्ट की टिप्पणी क्या कहती है ?

मद्रास हाईकोर्ट ने दिसंबर 2009 में कहा कि 14 फरवरी 1998 का दिन कोयंबटूर शहर के लिए “अकल्पनीय आतंक और दहशत” का दिन था। इस केस में कुल 166 आरोपी थे, जिनमें से 69 को 2007 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार दिया।

आम लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया

आम जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कुछ लोग राहत महसूस कर रहे हैं कि आखिरकार 1998 के खूनी बम धमाकों का एक और आरोपी पकड़ा गया, जबकि कुछ लोग इस देरी पर सवाल उठा रहे हैं कि “29 साल तक वो कहां छुपा रहा?”

सोशल मीडिया पर लोग हैरानी और नाराजगी जता रहे

राजनीतिक हलकों में भी यह मुद्दा गर्म है। कई नेता इस गिरफ्तारी को “सिस्टम की नाकामी और अब जागने की कोशिश” बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग हैरानी और नाराजगी जता रहे हैं कि इतना बड़ा आतंकी इतने सालों तक छुपा कैसे रह गया।

ATS और NIA अब आरोपी राजा से पूछताछ कर रहे (ATS terrorist arrest India)

ATS और NIA अब आरोपी राजा से पूछताछ में जुटी है, ताकि उसके नेटवर्क और संभावित सहयोगियों की पहचान की जा सके। यह भी संभव है कि ‘उम्मा’ संगठन से जुड़े कुछ पुराने केस फिर से खोले जाएं। अन्य फरार आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द हो सकती है, क्योंकि जांच एजेंसियों को राजा से अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।

29 साल तक फरार कैसे रहा टेलर राजा?

-क्या उसे किसी नेटवर्क या राजनीतिक संरक्षण का सहारा मिला?

-क्या 1998 के कोयंबटूर धमाके का पूरा सच अब सामने आएगा?
– कई पीड़ित परिवार अब भी न्याय की राह देख रहे हैं।
आतंकी संगठनों की नई गतिविधियों से जुड़ा है यह गिरफ़्तारी?
– ATS की हालिया सक्रियता क्या किसी बड़े खतरे का संकेत है?

‘उम्मा’ संगठन की फंडिंग और विदेशी कनेक्शन
– क्या यह संगठन आज भी एक्टिव है? अगर हां, तो कहां?

एक बड़ा आतंकी आखिर सलाखों के पीछे तो आया

बहरहाल बरसों तक पुलिस और एजेंसियों की पकड़ से दूर रहने वाला एक बड़ा आतंकी आखिर सलाखों के पीछे है।
यह गिरफ्तारी आने वाले समय में अन्य भगोड़ों की तलाश में भी अहम कड़ी साबित हो सकती है।

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