Bihar Chunav 2025 : चिराग के बयान बदलने के पीछे एक रणनीति भी हो सकती है। @Chirag FB Page
Bihar Chunav 2025 : बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने अभी मतदान की तारीखों का ऐलान नहीं किया है लेकिन प्रदेश में सियासी सरगर्मी तेज है। इस बीच, NDA के सहयोगी लोजपा (आर) मुखिया चिराग पासवान ने बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर सियासी गलियारों में नई हवा चला दी है। राजनीतिक पंडित कह रहे हैं कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लख्त-ए-जिगर क्यों एनडीए के सहयोगी दलों की वाट लगाने पर तुले हैं। ऐसा बयान उन्होंने दूसरी बार दिया है। हालांकि एक हफ्ते पहले उन्होंने यह भी कहा था कि बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। फिर अचानक क्यों पलट गए?
बिहार के हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान ने एक महीने पहले बिहार में ही अपनी नवसंकल्प महासभा में ऐलान किया था कि वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और लोजपा (आर) सभी 243 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। उन्होंने कहा था कि वह बिहार की जनता के लिए चुनाव लड़ेंगे। उस सभा में उन्होंने Bihar First और Bihari First के लिए चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। हालांकि इसके बाद उन्होंने यह बात नहीं दोहराई। 6 जुलाई को छपरा में एक जनसभा में उन्होंने यह बात फिर दोहराई।
चिराग पासवान क्यों बदल रहे रुख?
राजनीतिक विश्लेषक ओपी अश्क के मुताबिक बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान लगातार अपना रुख बदल रहे हैं। इससे यह संदेह हो रहा है कि अंदरखाने कुछ तो गड़बड़ है। लेकिन यह गड़बड़ी बीजेपी को लेकर है या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर, यह अभी साफ नहीं है। बीते हफ्ते ही चिराग ने कहा था कि चुनाव के बाद सीएम नीतीश कुमार ही होंगे। लेकिन उनके सुर फिर बदल गए।
कौन चिराग को बिहार आने से रोकना चाहता है?
अश्क बताते हैं कि छपरा में चिराग की ‘उन्हें बिहार आने से रोकने की साजिश की बात कहने की’ कसक के पीछे कुछ तो छिपा है। आखिर वह किसकी ओर इशारा कर रहे हैं? चिराग यह भी जता रहे हैं कि वे किसी से डरने वाले नहीं हैं। संभव है कि यह कहकर उन्होंने बिना नाम लिए नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि वह बिहार की खराब कानून व्यवस्था पर लगातार चोट करते रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर चिराग पासवान बिहार सीएम का मुखर विरोध करते रहे हैं। 2020 में भी इसे मुद्दे बनाकर उन्होंने जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लोजपा ने 135 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि उस चुनाव में लोजपा एक सीट जीत पाई थी लेकिन जदयू को नुकसान पहुंचाने की चिराग की रणनीति सफल रही थी। जदयू को सिर्फ 43 सीटें ही मिल पाई थीं।
चिराग के बयान बदलने के पीछे क्या है रणनीति?
अश्क के मुताबिक चिराग के बयान बदलने के पीछे एक रणनीति यह भी हो सकती है कि वह एनडीए पर ज्यादा सीटें देने के लिए दबाव बना सकें। उनके मन में भी बिहार का सीएम बनने की लालसा है। इस सिलसिले में बीजेपी, राजद और दूसरे दल यह कह रहे हैं कि चिराग पासवान को भले ही एनडीए ने केंद्र में मंत्री पद देकर तवज्जो दी है लेकिन बिहार सरकार में उनकी भूमिका नगण्य है। यह कसक भी उन्हें अंदर ही अंदर खा रही है।
नीतीश कुमार कैसे ‘पलटू राम’?
नीतीश कुमार ने 2024 में राजद का साथ छोड़ एनडीए का दामन थाम लिया था। इसके बाद उन्हें इंडिया गठबंधन के उद्धव ठाकरे वाले शिवसेना गुट ने ‘पलटू राम’ की संज्ञा दी थी। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में कहा था कि अयोध्या में ‘जय श्री राम’ के नारे लग रहे हैं और बिहार में ‘जय श्री पलटू राम’ के। ये ‘पलटू राम’ बिहार के सीएम नीतीश कुमार हैं।
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