भारत में मौसम की चाल के साथ बदल रहे हैं कृषि के तौर-तरीके, ICAR के महानिदेशक से जानिए खेती और किसानी से जुड़े सवालों के जवाब
भारतीय कृषि और किसान की जिंदगी में कैसे तब्दीली आ रही है, इसके बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान ICAR के महानिदेशक और DARE के सचिव डॉ. एम. एल. जाट से जानिए। डॉ. जाट का इंटरव्यू राजस्थान पत्रिका की वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मीना जांगिड़ ने किया है।
ICAR के महानिदेशक से डॉ. मीना जांगिड़ ने की बात (Photo-Patrika)
सवाल: भारत में कृषि अनुसंधान की दिशा और प्राथमिकताएं क्या हैं और ICAR इसमें कैसे अग्रणी भूमिका निभा रहा है?
भारत में कृषि अनुसंधान अब केवल उत्पाद बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पोषण सुरक्षा, जलवायु, अनुकूलता, संसाधन दक्षता और किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है।113 संस्थानों और 731 कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से भाकृअनुप हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और डिजिटल कृषि में अग्रणी योगदान प्रदान कर रहा है। विजन 2030 के तहत भी जलवायु अनुकूल कृषि, सतत कृषि, जैव विविधता संरक्षण, प्राकृतिक और स्मार्ट खेती पर जोर दिया जा रहा है।
सवाल: जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भारतीय कृषि की चुनौतियों को ICAR कैसे संबोधित कर रहा है?
अनियमित मानसून, सूखा, बाढ़, तापमान वृद्धि, कीट रोगों में बदलाव आदि खेती की प्रमुख चुनौतियां हैं जिनका निस्तारण निम्ïन रूप में किया जा रहा है- जलवायु अनुकूल 2661 फसल प्रजातियों साथ ही जलवायु अनुकूल तकनीकों का 448 गांवों में प्रदर्शन इकाइयों का विकास हुआ है । जोखिम एवं संवेदनशीललता (रिस्क एंड वलनरेबिलिटी) एटलस के अंतर्गत जनपदों का चयन किया गया है ।
सवाल: किसानों की आमदनी बढ़ाने में ICAR द्वारा किए जा रहे प्रयासों और नवाचारों के बारे में बताएं?
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए तकनीकी नवाचार- उच्च उत्पादकता वाली किस्में, मशीनरी प्रोटोटाइप, कस्टम हायरिंग सेंटर विकसित किए गए हैं । तकनीकी मार्गदर्शन और विपणन सहायता के तहत एमओयू (MoUs) भी हुए हैं। मल्टी- एंटरप्राइज मॉडल- 76 समेकित कृषि प्रणालियों का 25 राज्यों के लिए विकास तथा देश के लिए 80 फसल प्रणालियों का चयन किया गया।
सवाल: कृषि में तकनीक और डिजिटल इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए ICAR की प्रमुख योजनाएं कौन-सी हैं?
भाकृअनुप संचार एवं नीति रणनीति को वृहद रूप में अपनाने के लिए दृढ संकल्पित है। डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन- एआई, बिग डेटा, GIS आधारित फसल निगरानी पर भी काफ़ी जोर दिया जा रहा है । भाकृअनुप, केवीके और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा डिजिटल प्रशिक्षिण और मोबाइल ऐप्स तक भी किसानों की पहुँच बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। e-NAM, किसान रेल /उड़ान, एफपीओ के माध्मय से बाजार संपर्क साध रहे हैं ।
सवाल: क्या भारत में जैविक खेती को लेकर कोई विशेष शोध या रणनीति ICAR के तहत चल रही है?
देश के 7 राज्यों के लिए 8 समेकित जैविक कृषि प्रणाली विकसित की गई। जैविक उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु 80 फसलों की सस्य प्रणाली विकसित की। मैक इंडिया ऑर्गेनिक, प्राकृतिक एवं लाभकारी मिशन को गति प्रदान की जा रही है।
सवाल: कृषि शिक्षा को व्यवहारिक और रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए ICAR की क्या योजनाएं हैं?
प्राकृतिक खेती में B.Sc. (ऑनर्स) जैसे नए पाठ्यक्रम शुरू हुए हैं। भाकृअनुप की डीन कमेटी द्वारा कौशल आधारित पाठ्यक्रम साथ ही राष्ट्रीय छात्रवृत्तियां, PGDM-ABM, PGDAEM जैसे व्यावसायिक कार्यक्रम शुरू कर कृषि को रोजगारपरक बनाया जा रहा है।
सवाल: भारत के विभिन्न agro-climatic zones के लिए विशेष फसल अनुसंधान पर ICAR का फोकस कैसे है?
जलवायु को मुख्यत: 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों मे परिभाषित किया गया है। ये क्षेत्र जलवायु, मिट्टी के प्रकार एवं स्थालाकृति के आधर पर अलग-अलग हैं। प्रत्येक क्षेत्र के लिए फसल- विशिष्ट अनुसंधान केंद्र हैं और अनुशंसाएं की जाती हैं।मृदा, वर्षा, तापमान के आधार पर अनुसंधान और तकनीकी पैकेज विकसित किए जा रहे हैं।
सवाल: ICAR अपने अनुसंधानों को जमीनी स्तर पर किसानों तक पहुँचाने के लिए कौन-से प्रभावी माध्यम अपनाता है?
किसान के खेत पर उच्च तकनीक का अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन व केवीके द्वारा ऑन फार्म ट्रायल, प्रशिक्षण, प्रदर्शन, गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। लैब टू लैंड अभियान अर्थात् वैज्ञानिकों की गांवों में प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, किसान मेले, मोबाइल ऐप्स, रेडियो कार्यक्रम भी चलाए जा रहे है। अभी वर्तमान में माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में भाकृअनुप द्वारा विकसित कृषि संकल्प अभियान आयोजित किया गया। इसके अंतर्गत देशभर के 1 करोड़ 35 लाख किसानों से सम्पर्क साधा गया।
सवाल: कृषि में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ICAR द्वारा कौन-से प्रोत्साहन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं?
आर्या यानी कृषि में युवाओं को आकर्षित करना एवं बनाए रखने के लिए 100 से अधिक केवीके में इसे लागू किया है ।एग्री क्लीनिक एंड एग्रीबिजनेस सेंटर (ACABC) जिसमें दिवसीय प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। कृषक उत्पादक संगठनों का विकास ताकि प्रभावी एवं लाभकारी विपणन सुनिश्चित किया जा सके।
सवाल-जैविक खेती को लेकर जो परम्पराएं रहीं हैं, उनका वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन कर क्या इसे अभी अपनाया जा सकता है?
देखिए, ट्रेडिशनल विजडम का हमारी संस्कृति के हिसाब से साइंटफिक वेलिडेशन करते हैं तो यह बहुत महत्वपूर्ण है। मैं भी गांव में पला बड़ा हुआ हूं। खेती भी की है। किसान चाहे यूनवर्सिटी नहीं गए हैं, लेकिन उनमें जो प्रतिभा है वे भी नवाचार करते हैं। और उस नवाचार को साइंटफिक दृष्टि से वेलिडेट करके आगे ले जाएं तो उसका एडोप्शन आसान हो सकता है। किसान के हिसाब से किसान के लिए बनी हुई चीजें हैं। राजस्थान में मैंने बचपन से देखा कि रोटेशन बहुत महत्वपूर्ण था। हम आज बात कर रहे हैं क्राप रोटेशन। किसान इस खेत में इस साल बाजरा लगाएगा गाएगा तो अगले साल ग्वार लगाएगा। फिर उसमें गेहूं लगाना है। बाजरे के बाद सरसों लगाना है। और अगली बार फिर फसल बदलाव । ये सदियों से चलता आ रहा है । ऐसे ही दूसरे और भी उदाहरण है कंजर्वेशन के। मुझे लगता है ट्रेडिशनल नॉलेज को हमें यूज करना चाहिए। वह हमारा टे्रजर है।
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