scriptबॉर्डर पार शौहर मेरा इंतजार कर रहे हैं, BSF ने कहा- आप हिंदुस्तानी हैं, नहीं जाने दे सकते | Attari-Wagah border Pakistani married indian women were stopped due to Indian passports | Patrika News
राष्ट्रीय

बॉर्डर पार शौहर मेरा इंतजार कर रहे हैं, BSF ने कहा- आप हिंदुस्तानी हैं, नहीं जाने दे सकते

भारतीय पासपोर्ट धारकों को पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

अमृतसरApr 26, 2025 / 10:04 pm

Anish Shekhar

पहलगाम हमले के बाद भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर अपने मुल्क लौटने का आदेश जारी हुआ। इस निर्देश के तहत शुक्रवार को अमृतसर के अटारी बॉर्डर से 191 पाकिस्तानी नागरिकों को सीमा पार भेजा गया, जबकि 287 भारतीय नागरिक पाकिस्तान से भारत लौटे। लेकिन इस प्रक्रिया के बीच कुछ पाकिस्तानी महिलाओं के लिए अटारी बॉर्डर एक अनघट दुख का ठिकाना बन गया। बीएसएफ अधिकारियों ने इन महिलाओं को बॉर्डर पर ही रोक लिया, जिससे उनकी जिंदगी एक अनिश्चितता के भंवर में फंस गई।
अधिकारियों का तर्क था कि इन महिलाओं के पास पाकिस्तानी नागरिकता नहीं है और भारतीय पासपोर्ट धारकों को पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हैरानी की बात यह रही कि इन महिलाओं के साथ आए बच्चों को, जिनके पास पाकिस्तानी नागरिकता थी, बॉर्डर पार करने की इजाजत दे दी गई, लेकिन उनकी मांओं को रोक लिया गया। इन महिलाओं का कहना था कि वे भारत में पली-बढ़ी हैं, लेकिन उनकी शादी पाकिस्तान में हुई है। वे अपने मायके आई थीं, और अब अपने परिवार, अपने शौहर और बच्चों के पास लौटना चाहती हैं। मगर उनकी दलीलें और आंसुओं का अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ।
यह भी पढ़ें

लंदन में भारतीयों के विरोध से तिलमिलाया पाकिस्तान, डिफेंस अताशे ने दी गला काटने की धमकी, वीडियो वायरल

शनीजा की दर्दभरी दास्तान

दिल्ली की रहने वाली शनीजा की आंखों में बेबसी और दर्द साफ झलक रहा था। उसने बताया कि 15 साल पहले उसकी शादी कराची में हुई थी। वह अपने माता-पिता से मिलने दिल्ली आई थी। सरकार के आदेश के बाद वह वापस पाकिस्तान जाने के लिए अटारी बॉर्डर पहुंची, लेकिन उसे रोक लिया गया। शनीजा की नागरिकता का मामला पाकिस्तानी कोर्ट में लंबित है, और इस अनिश्चितता ने उसे बॉर्डर पर लाचार छोड़ दिया। उसकी आवाज में सिसकियां थीं जब उसने कहा, “मेरे शौहर वाघा बॉर्डर के पार मेरा इंतजार कर रहे हैं। मेरी बस इतनी अपील है कि मुझे मेरे बच्चों के पास जाने दिया जाए।”

अफसीन का टूटता सपना

राजस्थान के जोधपुर की अफसीन जहांगीर की कहानी भी कम दुखद नहीं है। उसकी शादी भी कराची में हुई, और उसके बच्चे पाकिस्तानी नागरिक हैं। बच्चों को तो बॉर्डर पार करने की इजाजत मिल गई, लेकिन उसे रोक लिया गया। अफसीन की आंखों में अपने बच्चों से बिछड़ने का दर्द साफ दिखाई दे रहा था। वह कहती हैं, “मेरे बच्चे वहां हैं, और मैं यहां अकेली फंस गई हूं। क्या यह इंसाफ है?”

अरूदा की बेबसी

पाकिस्तान की अरूदा, जो 20 साल पहले शादी के बाद वहां बसी थी, अपने दो बच्चों के साथ एक महीने पहले भारत आई थी। उसका मायका भारत में है, और वह अपने परिवार से मिलने की खुशी में यहां थी। 27 अप्रैल को उसकी वापसी की टिकट थी, लेकिन माहौल बिगड़ने के बाद वह जल्दी ही अटारी बॉर्डर पहुंच गई। मगर यहां उसे रोक लिया गया। उसके बच्चे, जिनके पास पाकिस्तानी नागरिकता थी, बॉर्डर पार कर गए, लेकिन अरूदा को पीछे छोड़ दिया गया। वह कहती हैं, “किसी ने ढंग से बात तक नहीं की। हम तो बस अपने घर, अपने बच्चों के पास लौटना चाहते हैं।”

बॉर्डर पर बिखरे परिवार

अटारी बॉर्डर पर इन महिलाओं की कहानियां सिर्फ कागजी कार्रवाई या नागरिकता के सवालों तक सीमित नहीं हैं। यह उन परिवारों की त्रासदी है, जो दो मुल्कों की सियासत और सख्त नियमों के बीच पिस रहे हैं। इन महिलाओं की आंखों में अपने शौहर और बच्चों से मिलने की बेचैनी, और अनिश्चित भविष्य का डर साफ दिखाई देता है। उनके लिए बॉर्डर सिर्फ एक रेखा नहीं, बल्कि एक दीवार बन चुकी है, जो उन्हें उनके अपनों से अलग कर रही है।
क्या इन महिलाओं को उनके परिवारों से मिलने का हक मिलेगा? क्या उनकी दलीलें और आंसुओं का कोई मोल होगा? यह सवाल न सिर्फ इन महिलाओं के लिए, बल्कि इंसानियत के लिए भी एक बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है।

Hindi News / National News / बॉर्डर पार शौहर मेरा इंतजार कर रहे हैं, BSF ने कहा- आप हिंदुस्तानी हैं, नहीं जाने दे सकते

ट्रेंडिंग वीडियो