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नागौर

‘भ्रष्टाचार की इमारत’ खड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से गुरेज कर रही सरकार

जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल की एमसीएच विंग की इमारत कंडम घोषित करने के 18 महीने बाद भी तय नहीं हो पाई जिम्मेदारी, एनएचएम ने न अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की और न ही ठेकेदार के खिलाफ, भ्रष्टाचारी कर रहे मौज

नागौरJun 16, 2025 / 12:17 pm

shyam choudhary

MCH wing nagaur
फैक्ट फाइल : एमसीएच विंग का भवन

– मई 2017 में चिकित्सा विभाग को हैंडओवर किया

– 15 करोड़ लगभग आई निर्माण में लागत

– 2 नवम्बर 2017 को घटिया निर्माण को लेकर एसीबी ने परिवाद दर्ज किया
– 19 सितम्बर 2023 को जोधपुर एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम भवन की जांच करने पहुंची

– 8 अक्टूबर 2023 को जांच टीम ने 70 पेज की रिपोर्ट दी, जिसमें भवन को पूरी तरह असुरक्षित बताया
– 01दिसम्बर 2023 को एनएचएम के एमडी ने एमसीएच विंग के भवन को खाली करने के आदेश दिए

– 20 जुलाई 2024 को एमसीएच विंग को पुराना अस्पताल भवन में शिफ्ट किया गया
– 20 अगस्त 2024 को जयपुर से एनएचएम की टीम कंडम भवन का निरीक्षण करने पहुंची, लेकिन आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

नागौर. जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल परिसर में करोड़ों रुपए खर्च कर भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े किए गए रेत के भवन को कंडम घोषित करने के बाद खाली तो कर दिया, लेकिन कंडम घोषित होने के 18 महीने बाद भी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है। एनएचएम ने न तो ठेकेदार पर कोई जुर्माना लगाया और न ही भवन निर्माण के समय जिन अधिकारियों पर देखरेख का जिम्मा था, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हो पाई। सरकार के इस ढुलमुल व भ्रष्टाचारियों के प्रति उदारता वाले रवैये से पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की बेल दिन दुगुनी-रात चौगुनी पनप रही है, क्योंकि भ्रष्टाचारियों में कार्रवाई का जरा भी खौफ नहीं है।
अब किसका इंतजार

गौरतलब है कि एमसीएच विंग का भवन घटिया निर्माण के चलते दिसम्बर 2023 में नकारा घोषित कर दिया गया। भवन की जर्जर हालत के चलते एनएचएम ने एक दिसम्बर को भवन को खाली करने के आदेश किए, जिसकी पालना करीब साढ़े आठ माह बाद 20 जुलाई 2024 को हो पाई। करीब 15 करोड़ की लागत से बने भवन के मात्र छह साल में नकारा घोषित होने से सरकार को जो नुकसान उठाना पड़ा, उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों एवं ठेकेदार के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर के विशेषज्ञों की टीम के बाद एनएचएम के तत्कालीक मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुसार सोनी के निर्देश पर एनएचएम की टीम ने 20 अगस्त 2024 को दुबारा निरीक्षण भी किया था, लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई है और न ही भवन को गिराने के लिए कोई कार्रवाई की जा रही है, जबकि सामने बारिश का मौसम है, जिसमें बड़ा हादसा हो सकता है।
शुरू से विवादों में रहा भवन

जेएलएन अस्पताल में बनाया गया मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य इकाई का भवन घटिया निर्माण को लेकर शुरू से ही विवादों में रहा। जेएलएन अस्पताल के तत्कालीन पीएमओ को मई 2017 में हैंडओवर तो कर दिया। इसके बाद घटिया निर्माण का मामला उठा तो तत्कालीन जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम ने एसीबी जांच के निर्देश दिए, जिस पर एसीबी ने अस्पताल पहुंचकर निर्माण सामग्री के नमूने लिए, लेकिन ठेकेदार व अधिकारियों के रसूखात के चलते एसीबी ने भी मामला दबा दिया।
जांच व मरम्मत पर खर्च हुए करोड़ों

एमसीएच विंग के भवन से हादसे की नौबत आई तो एनएचएम ने अलग-अलग चरण में ठेके करके मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च किए। इसके बावजूद बात नहीं बनी तो जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज को 5.31 लाख रुपए की फीस देकर विशषज्ञों से जांच करवाई। एक्सपर्ट इंजीनियर्स ने जांच में भवन को असुरक्षित बताते हुए मरम्मत योग्य भी नहीं माना। इसके बाद भी जी नहीं भरा तो विभाग ने खुद के अधिकारियों की टीम गठित कर निरीक्षण करवाया। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है, वो भी चिकित्सा मंत्री के गृह जिले में।
एमडी के इन बिन्दुओं की जानकारी नहीं दे पाए जिम्मेदार

एनएचएम के तत्कालीन मिशन निदेशक ने 18 दिसम्बर 2023 को आदेश जारी कर नागौर एमसीएच विंग के निर्माण में हुई अनियमितता की जांच कीरिपोर्ट मांगी। जिसमें इन बिन्दुओं पर रिपोर्ट मांगी गई –
– एमसीएच विंग के निर्माण के लिए बजट की स्वीकृत राशि एवं वित्तीय वर्ष की जानकारी।

– निर्माण कार्य किस एजेंसी की ओर से कराया गया एवं निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित हो, इसकी मॉनिटरिंग करने का क्या प्रावधान है?
– भवन का निर्माण किस अधिकारी के सुपरविजन में किया गया?

– निर्माण करने वाली एजेंसी का नाम एवं उसको किए गए भुगतान की राशि।

– निर्माण में अनियमितता पाई गई, इस सम्बन्ध में निर्माण करने वाली एजेंसी के विरूद्ध की गई कार्यवाई।
– निर्माण/हैण्डओवर के पश्चात यदि कोई बजट प्रावधान रखा गया है, तो उसकी सूचना।

इस कमेटी के अधिकारी 11 महीने पहले निरीक्षण करके चले गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

पत्रिका ने बार-बार उठाया मुद्दा
एमसीएच विंग के घटिया निर्माण को लेकर राजस्थान पत्रिका ने समय-समय पर समाचार प्रकाशित कर जिम्मेदारों का ध्यान आकृष्ट किया और भ्रष्टाचार की पोल खोली। पत्रिका की ओर से मुद्दा उठाने पर ही कंडम भवन को खाली करने के आदेश एनएचएम के एमडी ने जारी किए थे।
जयपुर स्तर से होनी है कार्रवाई

एमसीएच विंग के कंडम भवन को लेकर जो भी कार्रवाई होनी है, वो जयपुर स्तर के अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र का मामला है।

– डाॅ. आरके अग्रवाल, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर

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