पहलगाम हमला आतंकवादी वित्त पोषण के कारण हुआ
एफएटीएफ की ओर से जारी आधिकारिक बयान समझने की जरूरत है, “आतंकवादी हमले दुनिया भर में लोगों की जान लेते हैं, उन्हें अपंग बनाते हैं और भय पैदा करते हैं। एफएटीएफ 22 अप्रेल 2025 को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है और इसकी निंदा करता है।” यानि एफएटीएफ ने यह मान लिया है कि पहलगाम हमला आतंकवादी वित्त पोषण के कारण ही अमल में आया। ध्यान रहे कि FATF, G7 देशों स्थापित एक स्वतंत्र संस्था है जो देशों की वित्तीय नीतियों का मूल्यांकन करती है।
आतंकवादी वित्त पोषण से निपटने के लिए एक रूपरेखा बनेगी
हालांकि यह बात अहम है कि एफएटीएफ ने अपने बयान में पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि वह आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए एक रूपरेखा बनाएगा। यह बयान साफ संकेत है कि FATF आतंकवादियों के वित्तीय समर्थन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की योजना बना रहा है।
FATF का यह बयान भारत के लिए रणनीतिक फतेह
FATF का यह बयान भारत के लिए बहुत अहम है, क्योंकि भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवादियों को वित्तीय मदद देने का आरोप लगाता रहा है। इस संगठन की ओर से विकसित किए गए मार्गदर्शन के अनुसार, देशों को आतंकवादी वित्तपोषण के जोखिम को पहचानने और उसे रोकने के लिए उपायों को लागू करना होगा। इसके लिए इसके वैश्विक नेटवर्क के विशेषज्ञ इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और आतंकवादी वित्त पोषण को लेकर देशों को सलाह देने का कार्य कर रहे हैं।
भारत ने पाक को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग की
इधर FATF की ओर से जारी किए गए इस बयान के बाद, भारत ने पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डालने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को वित्तीय मदद देता है और उसकी कार्रवाई आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली है। गौरतलब है कि वर्तमान में FATF की ग्रे लिस्ट में 24 देशों का नाम है, जो धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्त पोषण के लिए निगरानी में हैं।
पाकिस्तान कई बार FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जा चुका है
यह बात भी भूलने वाली नहीं है कि पाकिस्तान कई बार FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जा चुका है। इसे पहली बार 2008 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था, लेकिन बाद में 2010 में इसे हटा लिया गया। इसके बाद, 2012 में पाकिस्तान को फिर से इस लिस्ट में डाला गया और 2015 में इसे दुबारा हटा दिया गया। इसके बाद, पाकिस्तान को जून 2018 में फिर से ग्रे लिस्ट में डाला गया था और अक्टूबर 2022 में इसे हटा लिया गया।
FATF वैश्विक आतंकवाद विरोधी नीतियों का प्रबल विरोधी
दरअसल FATF ने हमेशा वैश्विक स्तर पर आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। यह संस्था रिपोर्ट जारी करती है, देशों का मूल्यांकन करती है और वित्तीय प्रणाली मजबूत करने के लिए उन पर दबाव बनाती है। FATF की इन कोशिशों से आतंकवादियों को वित्तीय समर्थन मिलने के रास्ते बंद हो रहे हैं। पाकिस्तान के आतंकवादियों के साथ संबंधों और वित्तीय नेटवर्क के चलते FATF की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, जिससे वैश्विक शांति और सुरक्षा को खतरे से बचाया जा सके।
मूल्यांकन में योगदान देने वाले विशेषज्ञों का समर्थन
उल्लेखनीय है कि FATF ने वैश्विक नेटवर्क में 200 से अधिक क्षेत्रों के मूल्यांकन में योगदान देने वाले विशेषज्ञों का समर्थन करने के लिए आतंकवादी वित्तपोषण जोखिम पर मार्गदर्शन विकसित किया है।”
अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए पाकिस्तान एक असुरक्षित गंतव्य
अहम बात यह है कि इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के यह समझ में आने लगा है कि पाकिस्तान एक असुरक्षित गंतव्य बनता जा रहा है। ऐसे में FATF के दबाव और आर्थिक प्रतिबंधों की संभावना के कारण पाकिस्तान की पहले से ही डांवाडोल अर्थव्यवस्था को और झटका लग सकता है। इसके अलावा, IMF से मिलने वाले किसी भी संभावित राहत पैकेज पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि FATF की रेटिंग इन फैसलों को प्रभावित करती है। यह सब वैश्विक स्तर पर भारत की कूटनीतिक मेहनत का नतीजा कहा जा सकता है।
भारत कर सकता है फ्रांस, अमेरिका और अन्य प्रमुख G-7 देशों से संपर्क
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत आने वाले हफ्तों में फ्रांस, अमेरिका और अन्य प्रमुख G-7 देशों से संपर्क कर सकता है ताकि पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। वहीं, पाकिस्तान को FATF के अगले मूल्यांकन दौर से पहले आतंकवाद से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई करनी होगी।
G-7 की बैठक कब और कहां ?
इस बार 2025 की G-7 शिखर बैठक 15 से 17 जून तक कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में आयोजित हो रही है। यह बैठक कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की मेज़बानी में हो रही है। इसमें G-7 देशों के प्रमुखों के अलावा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर ज़ेलेंस्की, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ जैसे नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से फोन पर बात करके 15-17 जून 2025 के जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि की है। उन्होंने ट्वीट किया, “भारत और कनाडा को मिलकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करना चाहिए, और हम आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर नए उत्साह के साथ काम करेंगे।”
दुनिया के सामने भारत की कूटनीतिक विजय का अवसर
बहरहाल अब यह बात साफ हो गई है कि भारत FATF के बयान का स्वागत करते हुए कहा है कि यह वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख की पुष्टि करता है। सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी FATF की चेतावनी को गंभीर बताते हुए कहा कि यह पाकिस्तान के लिए एक और बड़ा झटका है, जिससे उसकी वैश्विक छवि और कमजोर हो सकती है। गौरतलब है कि भारतीय अधिकारियों ने पिछले महीने पेरिस और वॉशिंगटन में FATF प्रतिनिधियों से बैठक कर पाकिस्तान के खिलाफ नई कार्रवाई की मांग की थी।