शिक्षाविदों का कहना है कि यदि ग्रामीण सरकारी स्कूलों में थोड़ा-थोड़ा सहयोग भी करें तो भवनों के गिरने की नौबत नहीं आएगी। कुछ जगह दानदाता आगे आकर यह पुनित कार्य कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर जगह अभिभावक, जहां उनके बच्चे पढ़ते हैं, उन स्कूलों में साल में एक बार भी नहीं जाते और न ही भवन की सुध लेते हैं, जिसके कारण सरकारी भी अनदेखी करती है।
कठौती में भामाशाहों के सहयोग से 4 करोड़ की लागत से भवन आधुनिक भवन जिले के जायल उपखंड क्षेत्र के कठौती गांव में प्रधानाचार्य के साथ शिक्षकों की समर्पित टीम भावना को देखते हुए ग्रामीणों ने बढ़-चढकऱ सहयोग किया और करीब 4 करोड़ रुपए की लागत से महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम राजकीय विद्यालय का आधुनिक भवन बनवा दिया।
विद्यार्थियों का नामांकन भी अच्छा जिन स्कूलों के भवन दानदाताओं के सहयोग से अच्छी स्थिति में है, वहां विद्यार्थियों का नामांकन भी अच्छा है। इसके लिए शिक्षकों की टीम भी जिम्मेदार है। जहां संस्था प्रधान सहित अन्य शिक्षक अच्छा कार्य कर रहे हैं, वहां दानदाता भी दिल खोलकर सहयोग करते हैं। कठौती स्कूल में प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थियों की कतार लगी।
दानदाताओं का सहयोग भी मिलता है नागौर ब्लॉक में कुछ सरकारी स्कुलें ऐसी हैं, जिनके भवन न केवल दानदाताओं ने बनाए, बल्कि आज भी मरम्मत से लेकर रंग-रोगन का कार्य भी उन्हीं की ओर से करवाया जाता है। यदि सभी जगह ग्रामीण सहयोग करें तो सरकारी विद्यालयों के भवन जर्जर नहीं होंगे।
– राधेश्याम गोदारा, एसीबीइओ, नागौर ब्लॉक