ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देश पर प्रदेश में वर्ष 2002 में बीपीएल परिवारों का सर्वे करवाया गया। इसके बाद अब तक इस पर सर्वे नहीं किया गया। वर्ष 2002 के बीपीएल सर्वे की सूची को वर्ष 2006 से लागू किया गया। इस सूची में द्विस्तरीय अपील के माध्यम से परिवारों के नाम जोडऩे, हटाने की प्रक्रिया चलती रहती है। इसके अनुसार प्रथम अपील संबंधित उपखण्ड अधिकारी एवं द्वितीय अपील जिला कलक्टर को की जा सकती है। अपील प्रक्रिया के माध्यम से ही बीपीएल सूची 2002 में परिवारों को जोड़ा व हटाया जाता है।
- 62,376 राशन कार्ड हैं कुल नागौरव डीडवाना-कुचामन जिले में
- 2,72,666 कुल यूनिट
- 17,510 राशन कार्ड हैं स्टेट बीपीएल के नागौरव डीडवाना-कुचामन जिले में
- 73,000 कुल यूनिट
- 20,47,815 बीपीएल राशनकार्ड हैं पूरे राजस्थान में
- 85.32 लाख यूनिट हैं प्रदेश में
- 5.18 लाख राशनकार्ड हैं स्टेट बीपीएल के
- 20.77 लाख यूनिट हैं कुल
- 25,65,815 प्रदेश में कुल बीपीएल परिवार
यूं तो बीपीएल सूची 2002 में शामिल होने से वंचित रहे परिवारों को अपील के माध्यम से सूची में जोड़े जाने की प्रक्रिया निरंतर जारी है, लेकिन सूची में नाम जुड़वाना आसमान से तारे तोडकऱ लाने से कम नहीं हैं। कांग्रेस सरकार के समय मार्च 2020 में द्वितीय अपील के बाद बीपीएल सूची में 5 लाख 19 हजार पात्र परिवारों को और जोड़ा गया था।
गत वर्ष विधानसभा में विधायक हमीरसिंह भायल की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि प्रदेश में अंतिम बीपीएल सर्वे वर्ष 2002 में किया गया था। बीपीएल सर्वे भारत सरकार के निर्देशानुसार करवाया जाता है। इस संबंध में जब भी भारत सरकार से निर्देश प्राप्त होंगे, नवीन बीपीएल सर्वे करवाया जा सकेगा। गौरतलब है कि भारत सरकार ने इस संबंध में अभी कोई निर्देश नहीं दिए हैं।
सरकार की योजनाएं उन लोगों के लिए बनी हैं, जो वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं। लेकिन अयोग्य लोग लाभ उठा रहे हैं और पात्र वंचित हैं। बीपीएल में भी यही स्थिति है। इसका खमियाजा उन गरीब परिवारों को भुगतना पड़ता है, जो वास्तव में सहायता के हकदार हैं। इसीलिए, बीपीएल सूची की पुन: जांच और सुधार जरूरी है ताकि योग्य और जरूरतमंद परिवारों को उनका हक मिल सके। समाज की समृद्धि तभी संभव है जब असली हकदारों को लाभ मिले।
नागौर व डीडवाना-कुचामन जिले में वर्तमान कुल 79,886 बीपीएल राशनकार्ड हैं। सर्वे संबंधी निर्णय सरकार के स्तर का है।
- अंकित पचार, जिला रसद अधिकारी, नागौर