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म्यूचुअल फंड

अपनी वित्तीय क्षमता अनलॉक करें: इंवेस्टमेंट की शुरुआत करने वालों के लिए एक रोडमैप

आज के इस गतिशील वित्तीय दौर में निवेश दीर्घकालिक यानी लंबे समय तक के लिए धन जमा करने के सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक है।

जयपुरApr 25, 2025 / 12:55 am

Narendra Singh Solanki

आज के इस गतिशील वित्तीय दौर में निवेश दीर्घकालिक यानी लंबे समय तक के लिए धन जमा करने के सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक है। चाहे आप अपने सपनों के घर के लिए बचत कर रहे हों, अपने रिटायरमेंट फंड की योजना बना रहे हों या सिर्फ अपने पैसे बढ़ाने का ही लक्ष्य रख रहे हों, निवेश के मूल सिद्धांतों को समझना बेहद जरूरी है। और क्या आपको पता है कि इसकी सबसे अच्छी बात क्या है? जितनी जल्दी आप शुरू करते हैं, उतना ही ज्यादा सकारात्मक असर पड़ता है यानी लाभ होता है। क्योंकि चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति आपके धन को काफी बढ़ा सकती है।

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आपको निवेश क्यों करना चाहिए?

मुद्रास्फीति समय के साथ आपके पैसे के मूल्य को धीरे-धीरे कम कर देती है। भारत में पिछले एक दशक में औसत वार्षिक मुद्रास्फीति 5.5 प्रतिशत रही है, जिसका मतलब है कि जब तक बचत में सक्रिय रूप से वृद्धि नहीं हो रही होती, तब तक उसकी क्रय शक्ति खत्म हो जाती है। यही वह बिंदु है जहां निवेश काम आता है और वह मुद्रास्फीति से आगे बढ़ चुके आपके पैसों के बेहतर इस्तेमाल में आपकी मदद करता है। रिटायरमेंट कॉर्पस फंड बनाने से लेकर आपके बच्चे की शिक्षा की फंडिंग तक, स्मार्ट निवेश दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए धन जमा करते हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के अनुसार, दस करोड़ से ज्यादा भारतीयों ने धन बनाने के प्रति बढ़ती जागरूकता और महत्व को उजागर करते हुए म्यूचुअल फंड में निवेश किया है।
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निवेश कैसे शुरू करें?

अगर आप वार्षिक 12 प्रतिशत का औसत रिटर्न देने वाले म्यूचुअल फंड में 25 वर्ष की आयु में 5000 रुपए की एसआईपी शुरू करते हैं, तो आप 55 वर्ष की आयु तक लगभग 2.75 करोड़ रुपए जमा कर सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, इसी अवधि में 6.5 प्रतिशत पर एक एफडी से लगभग 75 लाख रुपए का लाभ होगा। बाजार में निरंतरता और समय बाज़ार के समय से ज्यादा मायने रखते हैं।अपने निवेश के लक्ष्यों को परिभाषित करके शुरुआत करें। चाहे वह घर खरीदना हो, फंडिंग करना हो या अपने बच्चे की शिक्षा के लिए बचत करना हो या आरामदायक रिटायरमेंट पक्की करनी हो। फिर अपने फंड को अलग-अलग एसेट क्लासेस में आवंटित करें। हाई लॉन्ग-टर्म रिटर्न के लिए इक्विटी, स्थिरता के लिए एफडी और बॉन्ड जैसे फिक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स और विविधीकरण के लिए सोना या रियल एस्टेट। एसआईपी आपके निवेश को अनुशासन के साथ ऑटोमेटेड करने में मदद करते हैं, जबकि रुपए की लागत को पूंजीकृत करते हुए बाजार की अस्थिरता को कम करते हैं। नियमित पोर्टफोलियो की समीक्षाएं गारंटी देती हैं कि आपके निवेश आपके वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम की जरूरतों के अनुरूप हैं।

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निवेश के विकल्प क्या हैं?

इक्विटी या शेयर मार्केट में निवेश हाई रिटर्न देता है, लेकिन इसमें बाजार जोखिम भी होता है। पिछले दो दशकों में, निफ्टी 50 इंडेक्स ने ऐतिहासिक रूप से लगभग 12 प्रतिशत औसत वार्षिक रिटर्न दिया है, जो इसकी अत्यधिक विकास क्षमता दिखाता है। इसके विपरीत, बॉन्ड विविधताओं के साथ कम रिटर्न देते हैं, लेकिन अपेक्षाकृत अधिक स्थिर माने जाते हैं। म्यूचुअल फंड एसेट के अलग-अलग पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए निवेशकों के पैसे को पूल करके एक संतुलित नजरिया देते हैं। 31 जनवरी 2025 तक, इक्विटी, हाइब्रिड और समाधान-आधारित प्लानिंग के साथ कुल 229.2 मिलियन (22.92 करोड़) म्यूचुअल फंड खाते थे, जो लगभग 182.2 मिलियन (18.22 करोड़) फोलियो के लिए जिम्मेदार थे। दूसरे लोकप्रिय रास्ते रियल एस्टेट निवेश हैं, जिन्हें लंबे समय से एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में देखा जाता है। नेशनल हाउसिंग बैंक के अनुसार, हाल के वर्षों में भारत के महानगरीय क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की कीमतों में वार्षिक 8-10 प्रतिश की वृद्धि हुई है।
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जोखिम और रिटर्न को संतुलित करना

सभी निवेशों में जोखिम होता है। दूसरों की तुलना में कुछ अधिक। इक्विटी मार्केट अस्थिर हो सकते हैं, जबकि बॉन्ड मूल्य ब्याज दरों में बदलाव के साथ उतार-चढ़ाव का सामना कर सकते हैं। विविधीकरण महत्वपूर्ण है। एसेट क्लासेस में निवेश करने से जोखिम का प्रबंधन करने और पर्याप्त नुकसान से बचाने में मदद मिलती है। भारतीय शेयर मार्केट अप्रत्याशित हो सकते हैं, जैसा कि 2008 के क्रैश के दौरान देखा गया था। लेकिन, इनका इतिहास बताता है कि वे समय के साथ ठीक हो जाते हैं। इसका रहस्य यह है कि हम प्रतिबद्ध बने रहें और घबराहट में लिए गए फैसले करने से बचें।

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कैसे शुरू करें?

होम क्रेडिट इंडिया के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर आशीष तिवारी का कहना है कि निवेश के साथ शुरुआत करने के लिए बड़ी रकम या विशेषज्ञ ज्ञान की कोई जरूरत नहीं होती है। साफ-साफ वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करके और जोखिम सहने की अपनी-अपनी क्षमता को समझकर शुरुआत करें। निवेश शुरू करने से पहले तीन से छह महीने के खर्चों को कवर करने वाला आपातकालीन फंड होना काफी अहम होता है। एक बार जब यह लागू हो जाता है, तो नियमित रूप से निवेश करने पर ध्यान केंद्रित करें। समय के साथ छोटी राशि में भी काफी बढ़ोतरी हो सकती है। जरूरत पड़ने पर पेशेवर मार्गदर्शन लेने में संकोच न करें और सबसे अहम बात यह है कि धैर्य रखें और दृढ़ बने रहें। याद रखें, निवेश एक लंबी यात्रा होती है, तेज दौड़ नहीं। सही मानसिकता, योजना और रणनीति के साथ, आप अपनी वित्तीय क्षमता को अनलॉक कर सकते हैं और एक सुरक्षित, समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

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