विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब अनिल परब ने मुंबई में मराठी लोगों के लिए घर आरक्षित करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सवाल किया, “क्या राज्य सरकार बिल्डरों को यह बाध्य करेगी कि नई इमारतों में मराठी लोगों के लिए 40% घर आरक्षित किए जाएं?”
इस पर जवाब देते हुए शिवसेना (एकनाथ शिंदे) नेता व मंत्री शंभूराज देसाई ने पलटवार किया, “जब 2019 से 2022 तक आप सरकार में थे, तब आपने ऐसा कानून क्यों नहीं बनाया? मराठी लोगों को सम्मान मिले, ये हमारी भी भावना है, लेकिन आपकी सरकार ने उन्हें नजरअंदाज किया।”
इस बयान से नाराज होकर अनिल परब ने जवाब दिया, “जब हमारी सरकार थी तब आप भी मंत्री थे, उस वक्त आपने क्या किया?” इसी दौरान परब ने देसाई को ‘गद्दार’ कह दिया, जिससे माहौल गरमा गया। गद्दार शब्द सुनते ही शंभूराज देसाई का पारा चढ़ गया और उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा, “अरे तुम गद्दार किसे कह रहे हो? तू बाहर आ… तुझे दिखाता हूं। मुझे गद्दार कहते हो, तुम खुद दूसरों के तलवे चाट रहे थे!”
इस गरमागरम बहस और असंसदीय भाषा के चलते सभापति नीलम गोरहे ने सदन की कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया। बाद में आपत्तिजनक शब्दों को रिकॉर्ड से हटाया भी गया। गौरतलब हो कि वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी से गठबंधन टूटने के चलते शिवसेना (अविभाजित) ने महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए एनसीपी (अविभाजित) और कांग्रेस से हाथ मिलाया था। बाद में एकनाथ शिंदे की बगावत के चलते जून 2022 में उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार गिर गई थी।