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मुंबई

Pune Bridge Collapse: सरकार का बड़ा फैसला, तोड़े जाएंगे सभी जर्जर पुल, कांग्रेस बोली- पहले गैर इरादतन हत्या का केस…

Pune Bridge Collapse News : पुणे में इंद्रायणी नदी पर बना करीब तीन दशक पुराना लोहे का पुल रविवार शाम अचानक ढह गया। इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई और 51 लोग घायल बताए जा रहे हैं।

मुंबईJun 17, 2025 / 11:26 am

Dinesh Dubey

Pune Indrayani river bridge collapse Devendra Fadnavis

इंद्रायणी नदी पर पुल ढहा, 4 लोगों की मौत

महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तहसील में इंद्रायणी नदी पर बने पुल के रविवार को ढहने से बड़ा हादसा हो गया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत जिले के सभी जर्जर और खतरनाक पुलों को जल्द से जल्द तोड़ा या हटाया जाएगा। इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस हादसे में स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई चूक हुई या नहीं, इसकी जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी।
अधिकारियों के अनुसार, कुंदमाला इलाके में स्थित यह पुल 1993 में बना था और अब उपयोग के लायक नहीं था। हालांकि पुल पर चेतावनी बोर्ड लगाए गए थे, लेकिन इन्हें नजरअंदाज कर रविवार को 100 से अधिक लोग उस पर चढ़ गए, जिससे यह हादसा हुआ।
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पुणे जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी ने बताया कि इस तरह के हादसों को रोकने के लिए अब केवल चेतावनी बोर्ड या बैरिकेड्स नहीं, बल्कि खतरनाक संरचनाओं को पूरी तरह हटाने का निर्णय लिया गया है। इनकी पहचान कर अंतिम सर्वेक्षण के बाद इन्हें तोड़ा जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि जिस पुल के ढहने से यह हादसा हुआ, उसके स्थान पर नया पुल बनाने की प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो चुकी है। कुछ महीने पहले इसके लिए टेंडर जारी की गई थी और एक सप्ताह पहले कार्य आदेश भी जारी हुआ था। इसका निर्माण जल्द ही शुरू हो जाएगा।
इस बीच, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि पुल असुरक्षित था, तो उसे जनता के लिए खुला क्यों रखा गया। उन्होंने राज्य सरकार पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा, “मानसून में हजारों पर्यटक कुंदमाल आते हैं, यह जानते हुए भी पुल को बंद नहीं किया गया। इसलिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है।”
सपकाल ने यह भी कहा कि सरकार एक साल पहले नए पुल के लिए फंड मंजूर होने के बावजूद पुल निर्माण शुरू नहीं कर सकी। सरकार दुर्घटनाओं के बाद ही जागती है, पीड़ितों को कुछ पैसे देती है और भूल जाती है। यह सिलसिला अब बंद होना चाहिए।
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कांग्रेस नेता ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा सभी खतरनाक पुलों का संरचनात्मक ऑडिट कराने के आदेश पर भी सवाल उठाए और इसे महज दिखावा बताया। सपकाल ने कहा कि मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा देने का मतलब यह नहीं है कि सरकार की जिम्मेदारी खत्म हो गई है।

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