Sawan Mela 2025: बुद्धेश्वर महादेव सावन मेला: तैयारियां तेज, इस बार होंगे चार बड़े मेले,भक्तों की भारी भीड़ की उम्मीद
Sawan Mela Lucknow : लखनऊ के ऐतिहासिक बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में इस सावन चार बुधवार को विशेष मेले लगेंगे। भक्तों की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए तैयारियां जोरों पर हैं। हालांकि प्रशासनिक लापरवाही से पुजारियों में नाराज़गी है। आस्था और अव्यवस्था के बीच संतुलन बनाने की चुनौती सामने है।
नगर निगम की लापरवाही से पुजारियों में आक्रोश, प्रशासनिक सुस्ती बनी चिंता फोटो सोर्स : Patrika
Sawan Special Buddheshwar Mahadev Mela लखनऊ के मोहान रोड स्थित ऐतिहासिक बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में इस बार सावन के महीने में विशेष रौनक देखने को मिलेगी। 11 जुलाई से प्रारंभ हो रहे सावन माह में इस बार बुधवार की संख्या अधिक होने के कारण मंदिर परिसर में चार बार मेले का आयोजन किया जाएगा। हर वर्ष की तरह इस बार भी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है, खासकर सावन के हर बुधवार को, जब यहां विशेष धार्मिक महत्व होता है।
मंदिर के मुख्य पुजारी लीलापुरी के अनुसार, इस वर्ष सावन में कुल चार बुधवार पड़ रहे हैं,16 जुलाई, 23 जुलाई, 30 जुलाई और 6 अगस्त। इन सभी दिनों को मेले का रूप दिया जाएगा। वैसे तो पूरे सावन माह में शिव भक्तों का मंदिर में तांता लगा रहता है, लेकिन बुधवार को विशेष रूप से भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, जिससे मेले का स्वरूप स्वतः ही बन जाता है।
बढ़ी तैयारियां, बढ़ती भीड़: मंदिर प्रशासन पूरी तरह सक्रिय
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए साफ-सफाई, सुरक्षा, लाइटिंग व्यवस्था, प्रसाद वितरण, छाया व जल व्यवस्था जैसी जरूरी तैयारियां तेज कर दी हैं। मंदिर को झालरों, पुष्प सज्जा, रंगाई-पुताई और विद्युत सज्जा से भव्य रूप दिया जा रहा है। पुजारी रामू ने बताया कि मंदिर को फूलों से सजाया जाएगा, और शिव भक्तों के लिए विशेष पूजा की व्यवस्थाएं की जाएंगी। मंदिर प्रांगण को सुंदर बनाने के लिए विशेष टीमें तैनात की गई हैं।
प्रशासनिक उदासीनता से नाराज़ पुजारी
हालांकि मंदिर समिति और पुजारी अपनी ओर से पूरी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन नगर निगम और जल निगम की लापरवाही उनके प्रयासों पर पानी फेरती नजर आ रही है। अब तक मंदिर और मेला परिसर में न तो सफाई की व्यवस्था हुई है, न ही जल निकासी या पेयजल की कोई स्थायी व्यवस्था की गई है। पुजारी लीलापुरी ने प्रशासन पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि “हर साल की तरह इस बार भी प्रशासनिक सहयोग की भारी कमी महसूस हो रही है। भीषण वर्षा के समय जलभराव, कीचड़, व शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं, जो कि श्रद्धालुओं के लिए बड़ी समस्या बन सकती हैं।”
भारी संख्या में उमड़ते हैं शिवभक्त
हर वर्ष बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में सावन माह में लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु पहुंचते हैं। विशेषकर बुधवार को तो मंदिर में इतनी भीड़ होती है कि सड़कों पर यातायात भी प्रभावित होता है। प्रशासन की ओर से भीड़ प्रबंधन हेतु यातायात पुलिस और सिविल डिफेंस की सहायता ली जाती है। क्षेत्रीय पार्षद धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि नगर निगम को विशेष रूप से सफाई और जल निकासी को लेकर सचेत किया गया है और उम्मीद जताई कि जल्द ही आवश्यक कार्रवाई होगी।
पर्यटन स्थल के रूप में भी बुद्धेश्वर महादेव का महत्व
बुद्धेश्वर महादेव मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पर्यटन विभाग द्वारा यहां करोड़ों रुपये खर्च कर सुंदरीकरण का कार्य कराया गया है। इसके अंतर्गत माता सीता सरोवर का पुनरुद्धार किया गया है। सरोवर के बीचों बीच आदमकद शिव प्रतिमा स्थापित की गई है। भक्तों की सहूलियत के लिए प्रतिमा तक पहुंचने के लिए पुल और मार्ग बनाए गए हैं। यह स्थल अब न केवल श्रद्धालुओं को बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करता है, विशेष रूप से सावन माह में।
सुरक्षा और यातायात व्यवस्था एक चुनौती
बढ़ती भीड़ को देखते हुए सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन जाता है। हर साल भारी भीड़ के चलते मंदिर परिसर के चारों ओर जाम की स्थिति बन जाती है। इस बार भी स्थानीय प्रशासन को ट्रैफिक डायवर्जन की योजना,अस्थायी चिकित्सा शिविरों की व्यवस्था,स्वयंसेवकों की तैनाती,महिलाओं और बुजुर्गों के लिए विशेष लाइनें जैसी व्यवस्थाओं को सशक्त करना होगा।
बुधवार के धार्मिक महत्व की झलक
बुधवार को भगवान शिव की विशेष पूजा का महत्व शास्त्रों में वर्णित है। ऐसा माना जाता है कि बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार को दर्शन करने से संकटों से मुक्ति,कर्ज से छुटकारा,और संपत्ति वृद्धि जैसी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।इसलिए सावन माह के प्रत्येक बुधवार को देशभर से शिवभक्त यहां उमड़ते हैं।
स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों की भी बढ़ी उम्मीदें
सावन के इन मेलों में स्थानीय दुकानदार, खाद्य विक्रेता, खिलौना विक्रेता, फूल वाले, प्रसाद विक्रेता, और भक्ति सामग्री बेचने वालों की भी बड़ी आमदनी होती है। मेला परिसर में सैकड़ों अस्थायी दुकानें लगने लगी हैं और व्यापारी सजावट के साथ तैयारियों में जुट गए हैं।
आस्था के साथ सुविधाएं भी हों प्राथमिकता
जहां एक ओर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है, वहीं प्रशासन की सुस्ती अब तक चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे भव्य मेलों में केवल श्रद्धा नहीं, सुविधाएं भी समान रूप से जरूरी हैं। यदि नगर निगम, जल निगम और जिला प्रशासन समय रहते अपनी जिम्मेदारी निभाए, तो यह आयोजन आस्था, पर्यटन और व्यवस्था तीनों ही दृष्टियों से एक आदर्श सावन मेला बन सकता है।
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