कैसे सामने आया मामला
यह मामला तब सामने आया जब 16 नवंबर 2024 को उत्तर प्रदेश एटीएस ने लखनऊ के गोमती नगर थाने में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर , नवीन रोहरा, नीतू उर्फ नसरीन और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था कि इन सभी ने विदेशी फंडिंग के जरिए सुनियोजित तरीके से धर्मांतरण कराने का गिरोह चला रखा था। इनका मुख्य केंद्र बलरामपुर स्थित “चांद औलिया दरगाह” था, जहां छांगुर बड़े-बड़े आयोजन कराकर मासूमों को निशाना बनाता था। आरोप है कि यहां सामाजिक, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पैसों, सुविधाओं और नौकरी का झांसा देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जाता था।
मनी लॉन्ड्रिंग के संगीन आरोप
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अदालत को बताया गया कि आरोपी नवीन रोहरा मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दोषी पाया गया है। पूछताछ से पता चला है कि उसने इस अवैध धर्मांतरण नेटवर्क से भारी मात्रा में धन कमाया और उसे अचल संपत्तियों में निवेश किया। ईडी ने 17 जुलाई 2025 को इस मामले में बड़ा एक्शन लेते हुए: - जलालुद्दीन उर्फ छांगुर
- नवीन रोहरा
- रोहरा का पुत्र महबूब
- न्यायालय कर्मी राजेश कुमार उपाध्याय
अन्य संदिग्ध व्यक्तियों के 15 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। इस छापेमारी में कई गोपनीय दस्तावेज, संपत्ति के कागजात, बैंक लेनदेन, विदेशी फंड ट्रेल, और संदिग्ध डिजिटल उपकरण बरामद किए गए।
ईडी की रिमांड अर्जी में क्या कहा गया
ईडी की ओर से अदालत में दाखिल की गई रिमांड अर्जी में कहा गया: “जांच के दौरान यह सामने आया है कि आरोपी नवीन रोहरा ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए भारी अवैध संपत्ति अर्जित की है। साथ ही, वह इस संगठित गिरोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसने विदेशी फंडिंग के जरिए धर्मांतरण जैसे गंभीर अपराध को अंजाम दिया।” “उसे हिरासत में लेकर पूछताछ किए बिना यह पता लगाना असंभव है कि कितनी संपत्तियां कहां बनाई गई हैं और कितने अन्य लोग इस नेटवर्क में शामिल हैं।”
नवीन रोहरा की भूमिका क्यों है महत्वपूर्ण
ईडी के सूत्रों के अनुसार, नवीन रोहरा छांगुर का बेहद करीबी और विश्वसनीय व्यक्ति था। उसकी भूमिका सिर्फ आयोजन या जमीन-जायदाद के सौदों तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह विदेशी फंडिंग का संचालन करता था। हवाला चैनल के जरिए पैसे को सफेद बनाता था। फर्जी नामों पर संपत्तियां खरीदता था। धर्मांतरण के लिए लोगों को चिन्हित करता और पैसों का लालच देता था। उसके कब्जे से कई बैंक खातों के विवरण, फर्जी एनजीओ के दस्तावेज, और विदेशी चंदे के स्रोतों की जानकारी प्राप्त हुई है, जिन्हें अब ईडी खंगाल रही है।
न्यायिक कार्यवाही और आगे की प्रक्रिया
लखनऊ स्थित ईडी की विशेष अदालत ने तर्कों को सुनने के बाद चार दिन की कस्टडी रिमांड की मंजूरी दी। अदालत ने ईडी को निर्देश दिया कि पूछताछ के दौरान। मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो.मेडिकल जांच समय-समय पर की जाए.हर 24 घंटे में पूछताछ का रिकॉर्ड जमा किया जाए। ईडी अधिकारियों का कहना है कि यदि पूछताछ में और भी बड़े नाम सामने आते हैं, तो आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
अवैध नेटवर्क का बढ़ता दायरा
ईडी को इस बात के पुख्ता संकेत मिले हैं कि इस धर्मांतरण नेटवर्क का संचालन देश के कई राज्यों में हो रहा था। इसके तार दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल और केरल जैसे राज्यों से जुड़े हो सकते हैं। विदेशी एनजीओ और कुछ कथित धर्म प्रचारक संगठनों से लिंक भी सामने आ सकते हैं। इसके पीछे राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी परोक्ष रूप से जुड़े हो सकते हैं सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी खलबली मचा दी है। कुछ दलों ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है, जबकि कई संगठनों ने सरकार से मांग की है कि ऐसे देशविरोधी तत्वों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही स्पष्ट किया था कि राज्य में जबरन धर्मांतरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और दोषियों को सख्त सजा मिलेगी।