निवेश के नाम पर लाखों की ठगी
प्रतीक यादव ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वर्ष 2011-12 में उनकी मुलाकात कृष्णानंद पांडेय से हुई थी, जो खुद को रियल एस्टेट कारोबारी बताता था। लंबे मेलजोल के बाद 25 मई 2015 को एक कंपनी बनाई गई, जिसमें प्रतीक यादव प्रमोटर और कृष्णानंद निदेशक थे। प्रतीक ने उसके कहने पर कंपनी में लाखों रुपये निवेश किए।
भावनात्मक चालें और उधारी का जाल
प्रतीक यादव का आरोप है कि कृष्णानंद ने आर्थिक तंगी और पारिवारिक समस्याओं का हवाला देकर उनसे बार-बार उधारी ली। प्रतीक ने उस पर भरोसा कर आर्थिक मदद भी की। वर्ष 2020 में प्रतीक की तबीयत बिगड़ गई और वे लंबे समय तक इलाज में रहे। इसी दौरान 2022 में उनकी मां, पिता और मामा का निधन हो गया, जिससे वे मानसिक रूप से बेहद तनाव में आ गए।
पॉक्सो एक्ट की धमकी, ऑडियो वायरल करने की चेतावनी
प्रतीक ने कहा कि बीमारी और तनाव का फायदा उठाकर कृष्णानंद और उसका परिवार लगातार पैसों की मांग करता रहा। जब प्रतीक ने हिसाब-किताब मांगा, तो आरोपी ने उन्हें ईमेल और वॉट्सऐप पर पॉक्सो एक्ट में फंसाने की धमकी दी। साथ ही फर्जी ऑडियो क्लिप वायरल करने की भी चेतावनी दी गई। फोन और मेल पर चार करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी गई।
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
गौतमपल्ली थाने के इंस्पेक्टर पंकज कुमार ने बताया कि प्रतीक यादव की तहरीर पर रंगदारी मांगने, धोखाधड़ी और आईटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। जल्द ही आरोपियों से पूछताछ कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।