क्या कहता है आयुर्वेद?
डॉ. अर्जुन राज बताते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार मिट्टी के घड़े में रखा पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा, शुद्ध और पाचन के लिए लाभकारी होता है। यह शरीर का तापमान संतुलित रखता है और पेट की गर्मी को शांत करता है। लेकिन बारिश के मौसम में वातावरण में नमी ज्यादा होने से बैक्टीरिया और फंगस का खतरा बढ़ जाता है। अगर घड़े की सफाई समय पर न की जाए तो उसमें जमा गंदगी या फंगस पानी को दूषित कर सकती है।
कब पीना चाहिए घड़े का पानी?
डॉ. राज ने बताया कि अगर आप अपने घड़े को नियमित रूप से साफ रखते हैं, उसमें ताजा और फिल्टर किया हुआ पानी डालते हैं, और उसे ढककर रखते हैं, तो बारिश में भी घड़े का पानी पीना सुरक्षित है। उन्होंने यह भी बताया कि घड़े का पानी बहुत ठंडा न हो। बारिश में शरीर पहले ही ठंडक महसूस करता है, ऐसे में बहुत ठंडा पानी पीने से सर्दी-खांसी या गला खराब हो सकता है। किन बातों का रखें खास ध्यान?
- घड़े को हर 3-4 दिन में अच्छे से साफ करें।
- पुराना या टूटा-फूटा घड़ा इस्तेमाल न करें।
- पानी फिल्टर या उबालकर भरें।
- घड़े को रसोई या खुले में न रखें साथ ही नमी और गंदगी से बचाएं।