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कोरबा

हाईटेंशन टॉवर के नीचे बसी बस्ती, जहां मकान बनाने की अनुमति नहीं, वहां बढ़ी आबादी..

CG News: कोरबा जिले में अवैध कब्जा की ऐसी होड़ है कि लोग अपने और परिवार के सदस्यों की जान को जोखिम में डालने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।

कोरबाJun 14, 2025 / 12:08 pm

Shradha Jaiswal

हाईटेंशन टॉवर के नीचे बसी बस्ती(photo-patrika)

हाईटेंशन टॉवर के नीचे बसी बस्ती(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में अवैध कब्जा की ऐसी होड़ है कि लोग अपने और परिवार के सदस्यों की जान को जोखिम में डालने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। जहां खाली पड़ी जमीन दिख रही है, वहीं चार दीवारी खड़ी कर मकान बना रहे हैं। कुछ दिनों बाद यह बस्ती का रुप ले रही है। यह भविष्य में बड़े हादसे की वजह बन सकती है और विभाग की ओर से अपनी जिम्मेदारी हर साल टॉवर के समीप बने मकानों में रहने वालों को नोटिस थमाकर कोरम पूरा कर रही है।

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यह स्थिति सर्वमंगला रोड स्थित फोकटपारा समेत अन्य क्षेत्रों में है। जहां हाईटेंशन टॉवर के नीचे एक या दो ही मकान नहीं बनें हैं, बल्कि पूरी बस्ती बस गई है। हाईटेंशन टावर के नीचे खंभे के समीप ही लगभग आधा दर्जन से अधिक मकान बने हुए हैं। जहां कई बार बच्चे खेल-कूद करते रहते हैं। शहरी क्षेत्र से लगे ढोढ़ीपारा, दर्री सहित कई हाईटेंशन टॉवर के समीप मकान बने हुए है।
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CG News: 10 मीटर दूरी तक कोई भी मकान बनाने की अनुमति नहीं

बताया जा रहा है कि किसी भी हाईटेंशन टॉवर से लगभग 10 मीटर दूरी तक कोई भी मकान बनाने की अनुमति नहीं होती है। बावजूद इसके शहर के कई क्षेत्रों में तो कई बस्तियां ही बस गई है। इस पर कार्रवाई और मकानों को हटाने की जिमेदारी विद्युत कंपनी के ट्रांसमिशन विभाग की होती है।
बताया जा रहा है कि विभाग की ओर से हाईटेंशन टॉवर के नजदीक बने मकान में रहने वालों को नोटिस थमाया जाता है, इसके बाद अपना कोरम पूरा कर छोड़ दिया जाता है। लेकिन कार्रवाई नहीं होती, इस कारण टॉवर के समीप बड़ी आबादी बसने लगी है। इस संबंध में विद्युत कंपनी के ट्रांसमिशन विभाग से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

हसदेव नदी तट पर भी अवैध कब्जे, कई मकान भाडे़ पर चल रहे, बना कमाई का जरिया

शहरी क्षेत्र में हसदेव नदी तट के आसपास बड़ी आबादी बसी हुई है। लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि लोग नदी के तट को भी नहीं छोड़ रहे हैं। लोग नदी तट के किनारे अवैध कब्जा कर पहले रस्सी और फीता बांधकर अवैध कब्जा कर लिया। इसके बाद मकान का निर्माण किया जा चुका है। इनमें से कुछ मकानों में लोग खुद ही रह रहे हैं तो कुछ ऐसे भी मकान हैं, जिसे लोगों ने आय का जरिया बना लिया है। गौरतलब है कि पिछले साल बारिश के मौसम में हसदेव नदी उफान पर थी। नदी का जल स्तर रातों-रात बढ़ गया था।

जहां मकान बनाने की अनुमति नहीं, वहां सीसी रोड

इस दौरान सीतामणी क्षेत्र में प्राथमिक शाला के पीछे लगभग एक दर्जन से अधिक मकान का आधा हिस्सा डूब गया था। मकान में पानी घुसता हुआ देखकर रात में घर से बाहर निकले और अपनी जान बचाई। इसमें लोगाें के खाद्य सामाग्री खराब हो गए थे और हजारों रुपए का नुकसान हुआ था।
गनीमत है कि जनहानि नहीं हुई। इसके पहले भी बालकोनगर क्षेत्र में नदी के किनारे अवैध कब्जा की वजह से बस्ती में बाढ़ आ गई थी। लेकिन जल संसाधन विभाग की ओर से हर साल केवल सूचना देकर ही खानापूर्ति कर दी जाती है। लेकिन इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
एक तरफ विद्युत विभाग की ओर से जहां उच्च दाब वाली लाइन से लगभग कम से कम 10 मीटर मीटर दूरी तक मकान बनाने की अनुमति नहीं हैं, वहां मकान बनाने के बाद सीसी रोड तक निर्माण हो चुका है। इसमें कुछ ऐसे मकान भी हैं, जहां लोग पहले तो अवैध कब्जा के नाम पर मकान बना लिये और फिर बाद में इसे लाखाें रुपए में किसी दूसरे को बेच दिया है।
यह खेल नया नहीं है, पिछले कई साल से चल रहा है। टॉवर के नीचे मकान बनाना नई बात नहीं है और न ही विभाग भी इससे अनजान है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे कई इलाके में अवैध कब्जा बढ़ता जा रहा है।

33/11 केवी के समीप भी नहीं बना सकते मकान

विद्युत वितरण विभाग की मानें तो केवल हाई टेंशन टावर ही नहीं, बल्कि ३३/११ केवी खंभों के समीप भी मकान बनाने की अनुमति नहीं है। लेकिन अवैध कब्जाधारी इन खतरे वाले स्थानों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। इन्हें भी नोटिस देकर खानापूर्ति की जा रही है। विभाग का काम इसी तरह चल रहा है।

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