बुधवार की शाम जयसिंह अग्रवाल मीडिया के सामने आए। उन्होंने कलेक्टर की नोटिस पर सवाल उठाया। कहा कि ननकीराम कंवर प्रदेश के वरिष्ठतम आदिवासी नेता हैं। छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है। तस्वीर में एक आदिवासी नेता खड़ा हुआ है। उनके सामने गर्वनर साहब हैं। गर्वनर का अपना एक पद है। बगल में सोफे पर कलेक्टर बैठे हुए हैं। ननकीराम कंवर 1972 से चुनाव लड़ते आए हैं। 53 साल पहले ननकीराम ने पहला चुनाव लड़ा। आज से 48 साल पहले विधायक बने।
84 साल की उम्र ननकीराम कंवर खड़े हैं। मैंने अखबारों में जब उस तस्वीर को देखी तो मुझे पीड़ा हुई। मैंने अपने फेसबुक अकांउट पर उस पीड़ा को व्यक्त किया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि मैं न तो कलेक्टर का चपरासी हूं और न ही मातहत अधिकारी। इसलिए कलेक्टर को मुझे नोटिस देने का अधिकार नहीं। मुझसे अगर निवेदन किया जाता तो मैं डिलिट कर दिया होता। मैंने जुर्म नहीं किया है। इसलिए फिलहाल फोटो को डिलिट नहीं किया जाएगा। कलेक्टर की नोटिस का कानूनी ढंग से जवाब दिया जाएगा।
इस पोस्ट पर मचा बवाल, फेसबुक पोस्ट पर जयसिंह ने ननकीराम के लिए लिखा
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम आदिवासी नेता का अपमान बहुत ही कष्टप्रद है। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम आदिवासी नेता, पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर खड़े हैं, जबकि महामहिम राज्यपाल रमेन डेका जी के साथ कलेक्टर अजीत बसंत बैठे हुए हैं। यह जान और सुनकर अत्यंत पीड़ा हुई।
जितनी मेरी राजनीति उतनी कलेक्टर की उम्र नहीं, महामहिम के सामने नहीं बैठना चाहिए: ननकीराम
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ननकीराम की एक तस्वीर वायरल हो रही है। इसमें ननकीराम कंवर महामहिम राज्यपाल के सामने खड़े हैं। राज्यपाल के बाजू में कलेक्टर सोफे पर बैठे हैं। इस तस्वीर को लेकर ननकीराम कंवर की प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है। उन्होंने कहा कि हम महामहिम को ज्ञापन देने गए थे। कलेक्टर का राज्यपाल के बगल में बैठना गलत था। बाद में महामहिम ने कलेक्टर को बाहर जाने के लिए भी कहा। जयसिंह अग्रवाल के फेसबुक पोस्ट पर ननकीराम ने कहा कि अगर राजनीतिक व्यक्ति के साथ ऐसा होता है, तो स्वभाविक है, वे प्रतिक्रिया करेंगे ही। ननकीराम ने यहां तक कह दिया कि एक गलत व्यक्ति कलेक्टर बना है। कंवर ने कहा कि मैंने जितनी राजनीति की है, उतना तो कलेक्टर की उम्र भी नहीं है। मैं गृहमंत्री रहा हूं। मैं कह सकता हूं। अगर कलेक्टर ने जयसिंह को नोटिस देकर कहा कि वे शासन प्रशासन की छवि को धूमिल कर रहे हैं तो यह गलत है। महामहिम के सामने कलेक्टर को कुर्सी पर बैठना ही नहीं चाहिए।
नोटिस जारी करने के बजाए फोटो वायरल कैसे हुई इसकी जांच कराएं कलेक्टर
चर्चा के दौरान जयसिंह ने कहा कि मैं एक कार्यक्रम में बाहर गया था। रास्ते में मुझे मीडिया के एक व्यक्ति ने फोन पर नोटिस के संबंध में सवाल पूछा। मैंने कहा मुझे नहीं पता। ऐसा लगा है कि मुझे नोटिस देने से पहले मीडिया में नोटिस को सार्वजनिक किया गया। राज्यपाल ११ और १२ जुलाई को कोरबा प्रवास पर थे। मुझे जानकारी मिली है कि ननकीराम कंवर जब राज्यपाल से मिलने से मिलने गए थे तब उनकी और उनके साथ गए व्यक्ति के मोबाइल फोन बाहर रखवा दिया गया था। मैं भी वर्षों से राजनीति करता आया हूं। इस अवधि में कई बार राज्यपाल से मिला। लेकिन कभी फोन बाहर नहीं रखवाया गया। हम लोगों ने फोटो भी खींचा। कोरबा में जब ननकीराम और उनके साथ गए व्यक्ति फोन बाहर रखवा लिया गया था तो अंदर की तस्वीर किसने खींची? और किसने सार्वजनिक किया? कलेक्टर को इसकी जांच करानी चाहिए। जयसिंह अग्रवाल यहीं नहीं रूके। कहा कि कलेक्टर कोई ऐसी तस्वीर दिखा दें जिससे पता चला है कि वे वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम के सामने खडे़ थे और उन्होंने कंवर का अभिनंदन किया।
शासन के निर्देशानुसार जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी कलेक्टर की होती है। किसी भी व्यक्ति के कार्य या शब्दों से कानून व्यवस्था की समस्या की उत्पन्न होने की संभावना होती है तो उसे नोटिस जारी किया जाता है। – अजीत वसंत, कलेक्टर, कोरबा