CG News: छत्तीसगढ़ में भी दबाव का असर
प्रदेश सरकार को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 4500 मेगावाट के आसपास बिजली की जरूरत पड़ रही है जबकि तेज गर्मी में यह खपत 6800 मेगावाट के पास पहुंच गई थी। बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव का असर
छत्तीसगढ़ में भी देखा जा रहा है।
इससे शनिवार को कोरबा, बिलासपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर सहित कई क्षेत्रों में तेज आंधी-तूफान चली थी। आकाशीय गरज-चमक के साथ तेज वर्षा हुई थी। बारिश से कुछ दिन के लिए तापमान कम हो गया है। प्रदेश का मौसम खुशनुमा हो गया है। इसका असर बिजली की खपत पर देखा जा रहा है।
45 डिग्री तक पहुंच गया था तापमान
दो दिन से प्रदेश में बिजली की मांग घट गई है। सामान्यत: जब प्रदेश में तापमान 45 डिग्री को पार कर गया था तब प्रदेश सरकार को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 6800 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ रही थी लेकिन अब बारिश के कारण मौसम सुहाना होने से बिजली की खपत में 2000 मेगावाट तक की गिरावट आई है। रविवार की रात 8 बजे तक प्रदेश सरकार को अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 4500 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ रही थी। बिजली की कुल मांग में छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी लगभग 1700 से 1800 मेगावाट तक का योगदान दे रही है।
500 मेगावाट का उत्पादन प्रभावित
इधर तकनीकी गड़बड़ी के कारण कोरबा पश्चिम स्थित हसदेव ताप विद्युत गृह की पांचवीं इकाई उत्पादन से बाहर हो गई है। गड़बड़ी को ठीक करने का कार्य चल रहा है। बताया जाता है कि इस यूनिट के बॉयलर ट्यूब में लिकेज आया है इससे यूनिट उत्पादन से बाहर हुई है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। खपत कम होने से राज्य सरकार को लाभ
CG News:
बिजली की खपत कम होने से प्रदेश सरकार को आर्थिक लाभ हो रहा है। छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी राज्य की जरूरत के अनुसार बिजली पैदा नहीं कर पाती लिहाजा प्रदेश सरकार को दूसरे प्रदेशों से महंगे दर पर बिजली खरीद कर घरेलू आवश्यकताओं को पूर्ति करनी पड़ती है।
इस सीजन में बिजली वितरण कंपनी ने अधिकतम 14 रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट बिजली खरीदकर अपनी घरेलू जरूरतें पूरी किया था। सामान्य तौर पर प्रदेश में उत्पादित होने वाली बिजली की दर 4 से 8 रुपए प्रति यूनिट होती है। लेकिन जैसे-जैसे पिकआवर में बिजली की जरूरत पड़ती है इसकी कीमत भी बढ़ती जाती है।