जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में शपथ पत्र का खेल, 7 माह में जनता की जेब वसूले 40 लाख रुपए अतिरिक्त
अस्पताल में डिजिटल जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर कागजी प्रकिया में मनमानी की जा रही है। इससे जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। नियमों की अनदेखी कर शपथ पत्र लिया जा रहा है। जनवरी से लेकर अब तक जारी होने वाले प्रमाण पत्रों को बनवाने आवेदकों ने शपथ पत्र पर 40 लाख रुपए खर्च हो गए
जिला अस्पताल में जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र काउंटर पर लंबी कतार।
जिले में अस्पताल में जनवरी से अब तक नए व पुराने जारी हुए 16 हजार डिजिटल प्रमाण पत्र, शपथ पत्र जमा कराने में खेल किया जा रहा है। इस पूरे खेल में स्टांप वेंडरों और ऑनलाइन संचालकों की भूमिका संदिग्ध
प्रमाण पत्र का शपथ पत्र लेने में खर्च हो गए 40 लाख रुपए
अस्पताल में डिजिटल जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर कागजी प्रकिया में मनमानी की जा रही है। इससे जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। नियमों की अनदेखी कर शपथ पत्र लिया जा रहा है। जनवरी से लेकर अब तक जारी होने वाले प्रमाण पत्रों को बनवाने आवेदकों ने शपथ पत्र पर 40 लाख रुपए खर्च हो गए। इसके अलावा शासन के निर्धारित शुल्क के तहत 6.40 लाख रुपए से अधिक वसूल किए गए। काउंटर पर हाथ से लिखित जारी किए गए मैन्युअल प्रमाण पत्र को डिजिटल बनाने के नाम पर शपथ पत्र लिया जा रहा है। जबकि नियम नहीं है।
आवेदक बोले, शपथ पत्र पर 250 से 350 रुपए खर्च होता है
आवेदकों ने कहा कि, प्रमाण पत्र बनवाने सिर्फ आवेदन लिया जाए। डिजिटल प्रिंट के नाम पर 50 रुपए का शपथ पत्र लिया जा रहा है। इस शपथ पत्र पर 250 से 350 रुपए खर्च होता है। इस पूरे मामले में काउंटर से जुडे कुछ ऑनलाइन संचालकों के जोर जुडे हैं। तभी तो काउंटर पर स्पष्ट आदेश का बोर्ड तक नहीं लगा है। जन्म-मृत्यु प्रमाण पर शपथ पत्र की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए।
ऐसे समझें शपथ पत्र पर 40 लाख का खर्च
प्रत्येक आवेदक को शपथ पत्र बनवाने 250 से 350 रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है। आवेदकों के अनुसार 50 रुपए के स्टाप पर टाइप, नोटरी, टिकट लगाने के नाम पर 350 रुपए खर्च हो रहा हैै। अस्पताल में जनवरी से अब तक 16 हजार प्रमाण पत्र जारी हो चुके हैं। यदि प्रत्येक शपथ पत्र पर 250 रुपए खर्च का औसत लिया जाए तो जनवरी से अब तक 40 लाख रुपए जनता की जेब से खर्च हो चुका है।
प्रत्येक आवेदन पर ऐसे समझें खर्च
इंदौर के राजनगर निवासी लता निलगड़े के पुत्र का जन्म लेडी बटलर में 4 जुलाई-2024 को हुआ। 9 अगस्त-2025 को अस्पताल में जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन जमा किया। संशोधित व डिजिटल जारी कराने सामान्य प्रपत्र में आवेदन दिया। साथ में 50 रुपए का शपथ पत्र भी संलग्न किया। काउंटर पर आवेदन के साथ खड़ी लता के अनुसार शपथ पत्र बनवाने पर 350 रुपए खर्च हुए। 50 रुपए आवेदन के फोटो कॉपी पर खर्च हुए। कुल मिलाकर 400 रुपए खर्च हुआ। इंदौर से आने-जाने में किराया अलग खर्च हुआ।
ये है नियम
जिनका मैन्युअल बना हुआ है संशोधन कराने पर शपथ पत्र का प्रावधान है। यदि संशोधन नहीं है सिर्फ डिजिटल जारी करना तो निर्धारित शुल्क के अलावा शपथ पत्र देय नहीं होगा। कुछ लोग पुराने डिजिटल को भी डिजिटल हस्ताक्षर वाला डुप्लीकेट प्रमाण पत्र जारी कराने आवेदन जमा कर रहे हैं। ऐसे आवेदकों का पुराना डिजिटल ही मान्य है। उन्हें डुप्लीकेट जारी कराने की जरूरी नहीं है।
सीआरएस पोर्टल का निर्धारित शुल्क
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने पर शुल्क -21-30 दिन तक 20 रुपए -30-एक साल तक 50 रुपए -एक साल से अधिक 100 रुपए -दो साल बाद पेनाल्टी 250 रुपए
: नोट : काउंटर पर बैठे कर्मचारी के अनुसार । इनका कहना…डॉ अनिरुद्ध कौशल, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल नाम परिवर्तन, संशोधन में शपथ पत्र अनिवार्य है। शासन का निर्धारित शुल्क चालान से भरना है। हमारे पास ऐसी सूचना नहीं है। अगर ऐसा है तो जांच कराएंगे।
एक्सपर्ट व्यू, राजेन्द्र गर्ग, वरिष्ठ अधिवक्ता, खंडवा बार काउंसिल
शपथ पत्र की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए, संशोधन पर सिर्फ 10 रुपए का टिकट हो शासन ने पहले 10 रुपए, फिर 50 रुपए और अब 200 रुपए कर दिया। इस तरह 400 फीसदी स्टांप ड्यूटी बढ़ाई है। सामान्य प्रक्रिया में जनता पर बोझ पढ़ रहा है। डिजिटल प्रमाण पत्र में शपथ पत्र की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। यदि किसी को संशोधन करना है तो सामान्य प्रपत्र पर 10 रुपए का टिकट चार्ज होना चाहिए। इससे जनता पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। पहले शपथ पत्र स्थानीय स्तर पर कम लागत में बन जाता था, अब डिजिटल प्रमाण पत्र निजी सेवा प्रदाताओं से शुल्क लिया जा रहा है। आम जनता की जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है। डिजिटल सेवाओं को सुलभ और सस्ता बनाने की दिशा में सरकार को मानवीय दृष्टि से मूल्य नियंत्रण की नीति अपनानी चाहिए। ताकि जनता को सहूलियत मिलने के साथ ही डिजिटल इंडिया का उद्देश्य साकार हो सके।
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