न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने रशीदा खातून की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। याचिका में राजनीतिक द्वेष के कारण निलम्बित किए जाने का आरोप लगाया गया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य में सरकार बदलने के बाद झूठे आरोप लगाए गए और उसे बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए निलम्बित कर दिया गया।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पर पद का दुरुपयोग कर पट्टा जारी करने का आरोप हैं। इस मामले में स्वायत्त शासन विभाग ने जिला प्रशासन से जांच कराई। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने जांच की, जिसमें अनियमितता और पद के दुरुपयोग के आरोपों को सही पाया गया। न्यायिक जांच प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए याचिकाकर्ता को जुलाई 2024 में वार्ड पार्षद और सभापति पद से निलंबित किया गया।
दूसरी ओर शिकायतकर्ता अशोक पाठक की ओर से अधिवक्ता प्रेम शंकर शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सभापति रहते शिव मंदिर की जमीन का पट्टा अपने पुत्र के नाम जारी कर दिया। जांच के बाद इस मामले में निलम्बन किया गया, जो सही था।
यह था मामला
कांग्रेस की रशीदा खातून दिसम्बर 2020 में करौली नगर परिषद सभापति निर्वाचित हुई। 16 जुलाई 2024 को निलम्बित कर दिया गया और 17 मार्च को राजरानी शर्मा को सभापति नियुक्त कर दिया।