CG News: क्रमोन्नत वेतनमान देने का जनरल आदेश जारी
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने किया। उनके साथ प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, प्रदेश महासचिव हेमेंद्र साहसी, सचिव मनोज सनाढ्य, जिलाध्यक्ष स्वदेश शुक्ला, डॉ. भूषण चंद्राकर, नवीन चौधरी, नंदकुमार साहू समेत प्रदेश के कई शिक्षक नेता उपस्थित थे। ज्ञापन में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट और
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डबल बेंच के निर्णय (सोना साहू केस) के आलोक में सभी शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान देने का जनरल आदेश जारी किया जाए।
युक्तियुक्तकरण आदेशों पर जताई आपत्ति
इसमें प्रथम क्रमोन्नति 10 वर्षों और द्वितीय क्रमोन्नति 20 वर्षों की सेवा पर देने का प्रावधान है, जो सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश (दिनांक 24/04/2006 और 10/03/2017) में भी स्पष्ट है। साथ ही, वित्त विभाग के आदेश (10 अगस्त 2009) के अनुसार एक विभाग से दूसरे विभाग में संविलियन पर पूर्व सेवा अवधि को शामिल कर समयमान वेतन, ग्रैच्युटी, पेंशन, अवकाश नगदीकरण जैसे लाभ दिए जाने की मांग की गई है। एसोसिएशन ने 2 अगस्त 2024 और 28 अप्रैल 2025 को जारी युक्तियुक्तकरण आदेशों पर आपत्ति जताई। CG News: डीपीआई ने कहा- सूक्ष्म अवलोकन, फिर निर्णय: प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वर्तमान नियमों से पदोन्नति के अवसर घट रहे हैं।
शिक्षकों की संख्या कम की जा रही है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ है। डीपीआई रघुवंशी ने सभी मांगों का सूक्ष्म अवलोकन कर विभागीय निर्णय लेने का भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि विभाग शिक्षक हितों और छात्र गुणवत्ता दोनों को ध्यान में रखकर कार्रवाई करेगा।
- पहले प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक, प्रधानपाठकों के पदों पर पदोन्नति की जाए।
- 2008 के सेटअप के अनुसार एक प्रधानपाठक और चार शिक्षकों का प्रावधान लागू रहे।
- प्राथमिक शालाओं में दो सहायक शिक्षक अनिवार्य हों।
- प्रधानपाठक पद समाप्त करना गलत, इससे पदोन्नति के अवसर 50 फीसदी घटेंगे।
- प्रत्येक शाला का स्वतंत्र अस्तित्व जरूरी।
- बालवाड़ी कक्षाओं के लिए एक अतिरिक्त शिक्षक दिया जाए।
- नए नियमों से भर्ती प्रक्रिया और बेरोजगारों पर असर पड़ेगा।
- स्वामी आत्मानंद स्कूलों में प्रतिनियुक्त शिक्षकों पर नियम लागू हो।
- उच्चतर विद्यालयों में कार्यभार बढ़ेगा। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
- एक ही परिसर में मर्ज की गई शालाओं की व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
- शिक्षक संख्या में कटौती से शिक्षण स्तर में गिरावट आएगी।
- पोटा कैबिन शालाओं में विभागीय सेटअप स्वीकृत हो।
- पहले अतिथि शिक्षकों को अतिशेष माना जाए।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भिन्न छात्र संख्या मापदंड को समाप्त किया जाए।
- भविष्य में एकतरफा आदेश से पहले शिक्षक संगठनों से विमर्श हो।