न्यायाधीश सुनील बेनीवाल की एकल पीठ के समक्ष सौरव कुमार की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कहा कि याची एक विशेष योग्यजन है और साल 2019 में राज्य सरकार की ओर से गठित सक्षम मेडिकल बोर्ड से 41 प्रतिशत लोकोमोटर विकलांगता का प्रमाण पत्र प्राप्त कर चुका है। इसी आधार पर उसने आयुर्वेद विभाग की वर्ष 2021 की नर्स-कंपाउंडर भर्ती में पीएच श्रेणी के तहत आवेदन किया था।
मेरिट में चयनित पाए जाने पर नियुक्ति दी गई
चयन प्रक्रिया के दौरान मेडिकल परीक्षण भी हुआ और मेरिट में चयनित पाए जाने पर 28 जून, 2022 को उसे नियुक्ति दी गई। इसके बाद उसने 5 जून, 2024 तक लगभग दो वर्षों तक सेवा की, लेकिन एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर की ओर से तीसरी बार कराए गए मेडिकल परीक्षण में विकलांगता प्रतिशत 40 से कम पाए जाने के आधार पर सेवा से हटा दिया गया।
श्रीगंगानगर जिला प्रमुख का चुनाव राजस्थान हाईकोर्ट ने रोका, 10 जुलाई तक जवाब मांगा
आदेश को दी गई चुनौती
इस आदेश को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने 2024 में जारी हुई नई भर्ती प्रक्रिया में सामान्य ईडब्ल्यूएस वर्ग के तहत आवेदन किया, जहां दस्तावेज सत्यापन सूची और अस्थायी मेरिट सूची में उसका नाम था। याची ने विहित प्रारूप में 24 मई, 2025 को अनुभव प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया, लेकिन अंतिम चयन सूची से उसका नाम यह कहते हुए बाहर कर दिया गया कि पूर्व में की गई सेवा बोनस अंक के लिए मान्य नहीं मानी गई।
तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता ने पूर्व में विज्ञापित पद पर नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्ति प्राप्त कर लगभग दो वर्षों तक सवैतनिक सेवा की थी, जिसे पूरी तरह नजरअंदाज कर देना मनमाना और असंवैधानिक है।