12 हजार से ज्यादा खदानें
जोधपुर व बालेसर क्षेत्र में मिलाकर करीब 12 हजार से ज्यादा खदानें है, जहां से प्रतिदिन औसतन एक लाख टन से अधिक पत्थर निकाला जाता है। यह पत्थर राजस्थान ही नहीं, बल्कि देशभर में घरों, बाउंड्री वॉल, मंदिरों, शिल्पकला और इमारतों के निर्माण में इस्तेमाल होता है। संयुक्त अरब अमीरात, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका तक इसका निर्यात किया जाता है।फैक्ट फाइल
1- 12 हजार खदानें हैं जोधपुर-बालेसर में।2- एक लाख टन से ज्यादा माल निकलता है।
3- 100 रुपए प्रति टन रॉयल्टी व डीएमएफटी भार बढ़ा है।
4- दो महीने पानी भरने से बंद रहेगी खदानें।
5- रोजगार और निर्यात पर भी असर
मानसून में दो माह खदानें रहेंगी बंद
हर साल मानसून के दौरान खदानों का संचालन दो महीने के लिए बंद हो जाता है। इस दौरान खनन गतिविधियां थमी रहती हैं, लेकिन इस बार बारिश के साथ-साथ रॉयल्टी दरों में हुई बढ़ोतरी ने डबल झटका दिया है। जिन लोगों ने पहले से स्टॉक नहीं किया, उन्हें खदानें खुलने के बाद महंगे दामों पर पत्थर खरीदना पड़ेगा।रोजगार और निर्यात पर असर पड़ेगा
इस क्षेत्र में 1.5 लाख से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं। इसके अलावा प्रोसेसिंग यूनिट व अन्य उद्योगों को मिलाकर 2 लाख से ज्यादा लोग इनमें नियोजित है। रॉयल्टी बढ़ने से पत्थर की मांग में कमी आ सकती है, जिससे रोजगार प्रभावित हो सकता है।आम जन पर सबसे ज्यादा भार पड़ेगा
बारिश के सीजन में खदानें बंद रहती है, लेकिन इसके साथ रॉयल्टी बढ़ने से काम प्रभावित हो सकता है। आम जन पर सबसे ज्यादा भार पड़ेगा। प्रति टन 100 रुपए के दाम बढ़ने से करोड़ों रुपए का हर दिन भार पड़ेगा। पहले से ही सैंड स्टोन का मार्केट संकट में है।नरेश परिहार, खदान मालिक, पूनम सिंह तंवर, पत्थर उद्यमी