सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला उद्योग
वर्ष 2009 से 2012 के बीच ग्वारगम के दाम 1200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे। एक साल में छह लाख मीट्रिक टन निर्यात होता था और तीन साल यह उद्योग सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला रहा, लेकिन इसके बाद पिछले 13 साल में यह उद्योग लगातार ढलान पर है। अब भाव भी 120 रुपए प्रति किलो तक है और हजारों लोगों का रोजगार छिन गया है। एक्सपोर्ट भी अब महज आधा ही रह गया है।
यहां भी उद्योग
जोधपुर के साथ ही बाड़मेर, बीकानेर, नोखा, राजगढ़, जैसलमेर, मेड़ता में भी ऐसे ही उद्योग थे। इनकी संख्या पूरे राजस्थान में 250 के करीब थी जो अब घट कर 35-40 रह गई है।
क्यों गिरा एक्सपोर्ट
1- एनसीडीएक्स में शामिल किए जाने से इसके भाव में अत्यधिक अस्थिरता आई, जिससे उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ा।2- कच्चे माल की उपलब्धता कम हुई, क्योंकि मंडी भाव में अंतर के कारण किसान अपना माल गुजरात में बेचने लगे।
3- विश्वभर में ग्वार का उपयोग पेट्रोलियम इंडस्ट्री व ड्रिलिंग उद्योग में ज्यादा होता था, लेकिन दूसरे विकल्प आने के कारण अमरीका व अन्य देशों में इनकी डिमांड घट गई।