scriptRajasthan: सरकारी राशन वितरण में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, गरीबों का हक मारने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई होना तय | Big fraud exposed in government ration distribution in Rajasthan action sure against contractor who Embezzlement | Patrika News
जोधपुर

Rajasthan: सरकारी राशन वितरण में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, गरीबों का हक मारने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई होना तय

राजस्थान के जोधपुर जिले में विजलेंस की जांच में सरकारी ठेकेदार दोषी पाया गया है। आरोपी ने NFSA के तहत गरीबों को वितरित किए जाने वाले सरकारी गल्ले को हजम कर गया था। अब इसके खिलाफ कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।

जोधपुरJul 08, 2025 / 10:15 pm

Kamal Mishra

Ration Distribution

फाइल फोटो-पत्रिका

जोधपुर। खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के तहत जोधपुर में 1500 क्विंटल से अधिक गेहूं के गबन की पुष्टि हुई है। राज्य सरकार की ओर से गठित विजिलेंस टीम इस घोटाले में केंद्र में ठेका फर्म जयश्री फ्रेट कैरियर्स और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम जोधपुर के तत्कालीन मैनेजर राजेश पंवार को दोषी पाया है।
टीम की रिपोर्ट जोधपुर के डिप्टी कमिश्नर विनय शर्मा ने अतिरिक्त आयुक्त व उपभोक्ता मामलात निदेशक पूनम प्रसाद सागर को सौंप दी है। सागर अपनी अनुशंसा के साथ यह रिपोर्ट अब राज्य के खाद्य मंत्री सुमित गोदारा को भेजेंगी, जहां से प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 19 मार्च को समाचार प्रकाशित कर गेहूं में हेराफेरी का मामला उजागर किया था।

कैसे हुआ घोटाला ?

जांच रिपोर्ट के मुताबिक शहर की 50 से अधिक राशन दुकानों पर फरवरी और मार्च 2025 में गेहूं की आपूर्ति कागजों में दर्ज की गई, लेकिन हकीकत में गेहूं कभी पहुंचा ही नहीं। ठेकेदार ने एफसीआइ से गेहूं उठाकर राशन डीलरों तक नहीं पहुंचाया, लेकिन डीलरों से पॉस मशीन के जरिए स्टॉक चढ़वा लिया गया और ओटीपी जनरेट कर रसीदें ले ली गईं।
इससे सरकारी रिकॉर्ड में गेहूं वितरण पूरा दिखाया गया, लेकिन जनता को उसका अंश भी नहीं मिला। पूरे खेल में ठेकेदार ने पुराने संबंधों का फायदा उठाते हुए डीलर्स से बिना गेहूं दिए ही ओटीपी ले लिया। डीलर्स भी भरोसे में आकर स्टॉक दर्ज कर दिया।

सरकारी कार्रवाई पर सवाल

जोधपुर कलक्टर की ओर से गठित जांच कमेटी के बाद ठेकेदार को 3 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। निगम मैनेजर राजेश पंवार को सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन कुछ ही सप्ताह में शासन सचिवालय में अपील के बाद ठेकेदार पर केवल 1.50 लाख जुर्माना लगाकर दोषमुक्त करार देकर दोबारा उसे ही काम सौंप दिया गया।

अब आगे क्या?

विजिलेंस की रिपोर्ट मिलने के बाद खाद्य मंत्री सुमित गोदारा के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा कि ठेकेदार और निगम अधिकारी पर आपराधिक एफआइआर, रिकवरी या अन्य दंडात्मक कार्रवाई कैसे की जाए। वहीं सरकार को अब यह भी तय करना है कि जिन 50 हजार परिवारों को गेहूं नहीं मिला, उन्हें इसकी भरपाई किस तरीके से की जाएगी।

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