रामनगर,बदनखेड़ी, बड़बेली, जगदीशपुरा नयागांव समेत कई गांवों में स्कूलों में नामांकन बहुत कम है। इन गांवों के बच्चे शिक्षा तो ग्रहण कर रहे है, उन्हें अभिभावक सरकारी स्कूल के बजाय निजी स्कूल में भेज रहे है। खानपुर उपखंड क्षेत्र के जटेडी गांव में राजकीय प्राथमिक स्कूल की स्थापना 1999 में हुई थी। उस समय 25 बच्चों का नामांकन हुआ था। फिर पांच साल तक इसमें नामांकन शून्य रहा। शून्य नामांकन के चलते 2019 में इस स्कूल को पास के दूसरे स्कूल में मर्ज कर दिया गया। लेकिन दो साल बाद 2021 में इसे फिर से अलग कर दिया गया। साल 2022-23 में यहां 1 स्टूडेंट का ही नामांकन रह गया। इस साल अब तक यहां एक भी बच्चे का दाखिला नहीं हुई है। यहां सोमवार को निरीक्षण के दौरान स्कूल की प्रभारी किरण कुमारी और शिक्षिका सोनिया सैनी मौके पर मौजूद थी।
अच्छा भवन, शिक्षक भी, लेकिन बच्चे नहीं
जठेड़ी गांव की आबादी 300 से ज्यादा है। यहां शिक्षा विभाग ने स्कूल के लिए अच्छा भवन बना रखा है। दो शिक्षक भी नियुक्त है, लेकिन गांव के करीब 25 बच्चे 3 किमी दूर एक निजी स्कूल में पढऩे जा रहे है। समीप के गांव बणी में आंगनबाड़ी केंद्र है। छोटे बच्चों का आना-जाना वहीं रहता है। नामांकन नहीं बढ़ाए तो एक बार फिर यह स्कूल मर्ज हो सकता है।
यहां दो बच्चे और दो शिक्षक
बाघेर क्षेत्र के रामनगर में राजकीय प्राथमिक विद्यालय में 2 बालिकाओं का नामांकन है। इन दोनों के लिए विभाग 2 शिक्षिकाओं को लगा रखा भवन इस वक्त जर्जर होने की वजह गांव के एक मकान में नि:शुल्क स्कूल संचालित किया जा रहा है। दो बच्चों के लिए नियमित पोषाहार भी बनाया जाता है।
यहां सात बच्चे
खेड़ा पंचायत के बदनखेड़ी में स्थित विद्यालय में 7 बच्चों का नामांकन है। यहां 2 शिक्षक तैनात है। वर्तमान में स्कूल भवन जर्जर घोषित होने के बाद इस स्कूल को खेड़ा के उच्च माध्यमिक विद्यालय में संचालित करवाया जा रहा है।
यहां पर 12 बच्चे
सोजपुर क्षेत्र के जगदीशपुरा नयागांव स्कूल में 12 बच्चों का नामांकन है। यहां भी 2 शिक्षक तैनात है। परंतु यह स्कूल कब खुलता है, यह गांव वाले भी नहीं बता पाते। सोमवार को जब यहां खानपुर के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी निरीक्षण किया, तब भी स्कूल पर ताला लटका हुआ मिला था।