मामले के अनुसार मंगलवार को दादिया और नेछवा क्षेत्र में सड़क हादसे के दौरान दो मृतकों का बुधवार को पोस्टमार्टम होना था। मोर्चरी में पोस्टमार्टम के दौरान पोस्टमार्टम से पहले जोधपुर निवासी पंकज शर्मा के मामा महेन्द्र ने फौरी तौर पर मृतक की पहचान कर ली।
इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने पोस्टमार्टम कर दिया। पोस्टमार्टम के बाद शव को लेकर परिजन कल्याण अस्पताल से चले गए। इसके बाद नेछवा क्षेत्र में हुए हादसे के मृतक श्रवण के परिजन मोर्चरी में पहुंचे और शव के श्रवण का नहीं होने की बात कही। इससे अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया।
इसके बाद आनन-फानन में पंकज का शव लेकर रवाना हो चुके परिजनों और संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस को सूचना दी। बाद में पंकज के परिजन वापस अस्पताल पहुंचे और शव को सौंपा। बाद में दूसरे शव का पोस्टमार्टम करवा कर सही परिजनों को सौंपा गया और परिजनो से शव की गलत पहचान करने का लिखित में दस्तावेज लिया।
यूं समझें लापरवाही को
हादसे के दौरान मौत होने पर मृत शव को मोर्चरी में रखा जाता है। इसके बाद शव पर पहचान के लिए टैग लगाए जाते है। इसके बाद पोस्टमार्टम से पहले परिजनों की ओर से मृतक के दस्तावेज, चेहरे या कपड़ों के आधार पर संबंधित की पहचान करवाई जाती है। पहचान के बाद अस्पताल को पोस्टमार्टम के लिए तहरीर दी जाती है। इसके बाद पोस्टमार्टम हो पाता है। बुधवार को हुए हादसे के दौरान इस पूरी प्रक्रिया को लेकर लापरवाही बरती गई है। जोधपुर निवासी मृतक के मामा ने केवल कद-काठी के आधार पर पहचान कर दी। इसके बाद पुलिस ने भी मृतक के दस्तावेज देखे बिना पोस्टमार्टम के लिए तहरीर दे दी। जिसका नतीजा हुआ है कि दोनों मृतकों के परिजनों में गलफत का माहौल बना रहा। मामले में अस्पताल में आंतरिक जांच कमेटी बनाई गई है।
परिजनों ने ही गड़बड़ी की है…
पोस्टमार्टम के दौरान कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान पहचान में परिजनों ने गडबड़ी की है। परिजनों और पुलिस की पहचान के आधार पर ही पोस्टमार्टम किया गया। दूसरे मृतक के परिजन जब अस्पताल पहुंचे तो मामले का पता चला। इसके बाद उन्हें बीच रास्ते से वापस बुलाया गया और परिजनों की सही पहचान के बाद उनको शव सौंप दिया गया। डॉ. रणजीत बेंदा, मेडिकल ज्यूरिस्ट