श्रद्धा या जोखिम भरा जुनून..
18 से 30 वर्ष के युवाओं की टोली, कई बार अपने परिवार के साथ 300 से 400 किलोमीटर की दूरी बाइक पर तय करती है। ये जातरु सुबह से लेकर रात तक सफर में रहते है। थकावट की परवाह किए बिना तेज रफ्तार में मस्ती में झूमते हुए रामदेवरा पहुंचते हैं। दर्शनों के बाद लौटते समय इनके मोटरसाइकिलों पर ध्वजों की संख्या और मस्ती दोनों बढ़ जाती है। यह दृश्य जितना आस्था से ओत-प्रोत होता है, उतना ही दुर्घटनाओं के लिए खतरनाक भी।हकीकत यह भी
प्रतिवर्ष भादवा मेले में यातायात व भीड़ प्रबंधन के दावे किए जाते है, लेकिन बाइक सवारों पर कोई सख्ती नजर नहीं आती। एक मोटरसाइकिल पर चार से पांच सवार, बिना हेलमेट, तेज गति—इन सभी नियमों का उल्लंघन खुलेआम हो रहा है। यात्रा के दौरान कई जिले, पुलिस थाने और चेक पोस्ट आने के बावजूद यह भीड़ बेरोक-टोक निकलती है। यह स्थिति न केवल यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाती है, बल्कि आम राहगीरों और स्वयं यात्रियों के लिए भी खतरे का कारण बन रही है।हर साल होते है हादसे, फिर भी नहीं चेतता प्रशासन
प्रतिवर्ष ऐसे मोटरसाइकिल सवार श्रद्धालुओं की वजह से कई सडक़ हादसे सामने आते है। बावजूद इसके इनकी संख्या में कोई कमी नहीं हो रही है और लगातार संख्या बढ़ रही है। जानकारों के अनुसार भादवा मेले में प्रतिवर्ष सैकड़ों श्रद्धालु मोटरसाइकिलों से यहां पहुंचते है। प्रशासन को मोटरसाइकिल जातरुओं के लिए अलग से नियम व रूट निर्धारित करना चाहिए। राज्यों की सीमाओं पर स्थित जिलों में चेकपोस्ट लगाकर ऐसे मोटरसाइकिलों की जांच होनी चाहिए। साथ ही जन-जागरण भी करने की जरूरत है।कर रहे है जागरुक
लंबे सफर के बाद मोटरसाइकिलों पर जातरु यहां पहुंच रहे है। जिनके चालान काटने के साथ उन्हें हेलमेट लगाने व नियमों की पालना के लिए जागरुक भी किया जा रहा है।- सवाईसिंह तंवर, प्रभारी यातायात पुलिस, पोकरण