जान-माल का खतरा
नगरपरिषद ने चस्पा किए नोटिस में संबंधित जर्जर मकानों के मालिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनका मकान गिर कर आसपास के पड़ोसियों और आम राहगीरों के जान-माल के नुकसान का कारण बन सकता है। तीन दिन में मकान को सुरक्षित ढंग से उतरवाया जाए अन्यथा नगरपरिषद की ओर से खतरनाक व गिरने लायक मकान को नीचे गिरा दिया जाएगा और उसका खर्च उनसे वसूल किया जाएगा। नगरपरिषद ने यह भी साफ किया है कि नोटिस से किसी भी प्रकार का मालिकाना हक साबित नहीं होगा।
उच्च स्तर से मिले निर्देश
गौरतलब है कि स्थानीय निकाय विभाग के उच्चाधिकारियों ने गत दिनों प्रदेश भर के निकाय प्रमुख अधिकारियों की वीसी लेकर उन्हें अपने क्षेत्र में जर्जर मकानों को उतरवाने के लिए निर्देशित किया था। इन निर्देशों की पालना में जैसलमेर नगरपरिषद का अमला हरकत में आया है। आयुक्त लजपाल सिंह ने बताया कि आगामी सोमवार से ही परिषद इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर देगी और बहुत जरूरी जर्जर मकान को अपने स्तर पर उतरवाएगी।
पूर्व में होते रहे हैं हादसे
गौरतलब है कि जैसलमेर में हर बार मूसलाधार बारिश के दौरान कहीं न कहीं पुराने मकानों की छतों या दीवारों के ध्वस्त होने की घटनाएं सामने आती रही है। इनमें ऐतिहासिक सोनार दुर्ग का स्थान सबसे ऊपर है। सोनार दुर्ग पर आज भी ऐसे खंडहरनुमा मकान हैं, जिनके बरसाती सीजन में धराशायी होने की पूरी आशंका बनी हुई है। विगत वर्षों में ऐसे अनेक हादसे हुए हैं। जब कभी मूसलाधार बरसात होती है, तब जर्जर मकानों व भवनों की समस्या को लेकर जिम्मेदार दौड़-धूप करते नजर आते हैं, लेकिन समय गुजरने के साथ वे इस समस्या को बिसरा जाते हैं। यही कारण है कि इस समस्या का स्थाई समाधान आज तक नहीं हो पाया है।