जैसलमेर: 650 वर्ष पुराने ऐतिहासिक गड़ीसर में टूट रही सांसों की डोर
जून महीने में दो दिन लगातार अच्छी बारिश से बड़े पैमाने पर भरे स्वर्णनगरी के ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब में एक बार फिर सुरक्षा प्रबंधों की कमी महसूस की जा रही है।


जैसलमेर. गड़ीसर के घाट पर केवल दिखावटी साबित हो रहा चेतावनी बोर्ड।
जून महीने में दो दिन लगातार अच्छी बारिश से बड़े पैमाने पर भरे स्वर्णनगरी के ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब में एक बार फिर सुरक्षा प्रबंधों की कमी महसूस की जा रही है। यहां न तो निगरानी करने के लिए चौकीदार है, न पकडऩे के लिए जंजीरें या रैलिंग और न ही डूबने से बचाव के लिए कोई इंतजाम ही है। यहां न तो चौकीदार की पुख्ता व्यवस्था की है और न ही प्रशिक्षित तैराक ही तैनात नियुक्त किए हैं। हाल में एक व्यक्ति की गड़ीसर में डूब जाने से मौत हो गई थी। इसे मिला कर देखा जाए तो विगत 10 वर्षों में अनुमानित 50 से ज्यादा व्यक्तियों की सांसों की डोर इस कलात्मक धरोहर के पानी में टूट चुकी हैं। पूर्व में भी लबालब भरे गड़ीसर तालाब में मासूम बच्चों से लेकर प्रत्येक आयुवर्ग के महिला-पुरुषों के काल का ग्रास बनने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं लेकिन आज तक बचाव के कोई माकूल इंतजाम देखने को नहीं मिले हैं। गौरतलब है कि स्वर्णनगरी का प्रमुख पर्यटन स्थल गड़ीसर तालाब ऐतिहासिक महत्व तो रखता ही है, यहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोग व पर्यटक शांति, आनंद व सुकून की तलाश में आते हैं। वे यहां के प्राकृतिक माहौल में घंटों बैठे रहते हैं। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि गड़ीसर में किसी तरह के सुरक्षा प्रबंध नहीं किए गए हैं। पूर्व में तालाब में डूबकर जान गंवाने के कई हादसे घटित हो चुके हैं।
मुंह चिढ़ाता चेतावनी बोर्ड
- नगरपरिषद की तरफ से महज रस्म अदायगी के तौर पर चेतावनी बोर्ड लगा कर छोड़ दिया गया है। गड़ीसर के घाट पर लगे बोर्ड पर चेतावनी के स्वर में लिखा है कि, यहां तैरना, नहाना व कपड़े धोना सख्त मना है।
- इस बोर्ड की चेतावनी को कोई तवज्जो नहीं देता और कई लोग यहां तैरते या नहाते या कपड़े धोते देखे जा सकते हैं।
- तालाब की गहराई अलग-अलग जगहों पर 2 से 5 और 20 फीट तक है। कई बार तैरने वाला व्यक्ति पानी की गहराई की जानकारी नहीं होने से फंस जाता है और उसकी मौत हो जाती है।
- गड़ीसर तालाब के समीप कोई गार्ड ही नियुक्त नहीं है। और न ही सुरक्षा के लिहाज से यहां कोई मोटर बोट की व्यवस्था की गई है।
- विगत वर्षों में नगरपरिषद की तरफ से सरोवर में घाटों के पुनर्निर्माण और अन्य सौन्दर्यकरण कार्यों के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन किसी को रैलिंग व जंजीरें लगाना याद नहीं आया। इसी प्रकार यहां नहाने पर कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है।
- सरोवर के समीप सीसीटीवी कैमरों की निगरानी नहीं है। मृतकों के शव सरोवर बाहर आने पर ही यह पता चल पाता है कि हादसा हुआ है।
फैक्ट फाइल – - 50 के ज्यादा मौतें हो चुकी विगत वर्षों में
- 20 नौकाएं व बोट गड़ीसर में नौकायन के लिए उपलब्ध
- 1993 में गड़ीसर को वर्ष पर्यंत पानी से भरा रखने के लिए बनी थी योजना
उचित प्रबंध करने की दरकार
गड़ीसर सरोवर क्षेत्र में सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध किए जाने की दरकार लम्बे समय से महसूस की जा रही है। प्रशासन ने केवल चेतावनी बोर्ड लगा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। - विजय कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता
धरोहर की हो रही अनदेखी
जैसलमेर के विख्यात गड़ीसर तालाब की अनदेखी देख कर कष्ट का अनुभव हुआ। सैकड़ों साल पुराने इस सरोवर की कलात्मकता अद्भुत है लेकिन कहीं भी रैलिंग आदि नहीं लगी है। - कुमार प्रशांत, पर्यटक
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