पर्यावरणविदों की चिंता यह है कि हर साल करोड़ों पौधे लगाने में करोड़ों की राशि खर्च हो रही है, लेकिन 30 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं बचते। जवाबदेही के लक्ष्य तय नहीं हाेने के कारण ऐसा हो रहा है। वन विभाग एवं सभी संस्थाओं को मनरेगा योजना के तहत लगने वाले पौधों की तरह जिओटैगिंग अनिवार्य करनी चाहिए। एक साल बाद कितने पौधे जीवित रहेंगे। इसकी प्रभावी मॉनिटरिंग करनी होगी।
ये प्रयास हो तो बच सकते हैं पौधे- 1. जिम्मेदारी तय हो : स्थानीय निकाय, स्कूल, स्वयंसेवी संस्थाओं को पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी दी जाए। 2. जीपीएस टैगिंग और डिजिटल ट्रैकिंग : हर पौधे को ट्रैक करने की तकनीक को अपनाया जाए।
3. एक पौधा-एक अभिभावक मॉडल : पौधे को किसी संस्था, छात्र, ग्राम समिति को गोद दिया जाए। 4. जन सहभागिता : अभियान महज सरकारी योजना के रूप में नहीं, बल्कि जन आंदोलन के रूप में चलाया जाए।
5. वार्षिक ऑडिट व प्रदर्शन रिपोर्ट : हर वर्ष लगाए गए पौधों की सर्वाइवल रिपोर्ट सार्वजनिक हो। लक्ष्य थोपें नहीं, जवाबदेही तय हो- सरकार व वन विभाग ने इस साल दस करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तो रख दिया, लेकिन नर्सरियों में तो इतने पौधे ही तैयार नहीं हुए। लक्ष्य बड़ा करने एवं थोपने से प्रदेश में हरियाली नहीं आएगी। पौधों को जीवित बचाने के लिए जवाबदेही तय करनी होगी।
-बाबूलाल जाजू, पर्यावरणविद