आज 21वीं सदी है, कछुआ चाल वाली न्याय प्रणाली अब बर्दाश्त नहीं की जा सकती। राजस्व अदालतों को डिजिटल किया जाए और समयबद्ध न्याय की व्यवस्था हो, वरना न्याय अधूरा ही रहेगा। अलग से परीक्षा आयोजित कर राजस्व न्यायालयों में अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। कोर्ट ने एक सितम्बर तक पालना रिपोर्ट मांगी है।
न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने शक्ति सिंह व अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कई राजस्व मुकदमे और अपीलें 20-30 साल से लंबित हैं। अफसोस की बात है, इनको प्राथमिकता से नहीं निपटाया जा रहा है। राजस्व मामलों के फैसलों में निष्पक्षता, दक्षता व विश्वसनीयता जरूरी है, वहीं अधिकारियों को विधिक प्रशिक्षण भी जरुरी है।
राज्य सरकार राजस्व मामलों से जुड़े कमजोर वर्ग के इन ग्रामीणों को समय पर निष्पक्ष और न्यायसंगत न्याय उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे। कोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख राजस्व सचिव और प्रमुख विधि सचिव को आदेश की कॉपी भेजकर कहा कि वे स्थितियों में सुधार के लिए सरकार को संबंधित नियमों में संशोधन करने का सुझाव दें।
कोर्ट के निर्देश
1. प्रणाली पूर्णत: डिजिटल हो, निर्णयों को ऑनलाइन अपलोड किए जाएं।
2. डेटा ग्रिड या वर्चुअल जस्टिस क्लॉक बने।
3. अधिकारियों को प्रशिक्षण दें।
4. प्रशासनिक न्यायिक अकादमी स्थापित की जाए।
5. शीघ्र निस्तारण के लिए एसओपी तैयार हो।
6. समयबद्ध निस्तारण के लिए सिस्टम विकसित कर संभाग मुख्यालय पर मॉनिटरिंग की जाए।
7. कोटा सिस्टम शुरू कर अधिकारियों की एसीआर में उल्लेख हो।
8. मीडिएशन आदि को प्रोत्साहित किया जाए।
9. एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू कर मॉनिटरिंग की जाए।
10. अधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित जाए।