26 अभ्यर्थियों की अंकतालिकाएं, आवेदन और शैक्षणिक सत्र से नहीं खाती मेल
एसओजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभ्यर्थियों ने भर्ती
परीक्षा पास करने के बाद फर्जी डिग्रियां पेश की। एसओजी की जांच में पता चला कि 26 अभ्यर्थियों की अंकतालिकाएं आवेदन के समय घोषित उनके शैक्षणिक सत्रों से मेल नहीं खाती हैं। उनकी मार्कशीट संदिग्ध हैं। ऐसा लगता है कि यह मार्कशीट एक ही दिन प्रिंट की गई है। वहीं दूसरी तरफ 9 और संदिग्ध अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने आवेदन के वक्त अपने फॉर्म में शारीरिक शिक्षा में डिप्लोमा (डीपीएड) लिखा था, लेकिन चयन के बाद बीपीएड की डिग्रियां जमा कीं।
जांच में तीन और विश्वविद्यालयों की हुई पहचान
यह जानकार आश्चर्य होगा कि जांचकर्ताओं ने जांच में तीन और विश्वविद्यालय की भी पहचान की है। ये तीनों निजी विश्वविद्यालय मेघालय, छत्तीसगढ़ और गुजरात से संबंधित हैं। अभ्यर्थियों ने इन तीनों विश्वविद्यालयों की डिग्रियों का दुरुपयोग भर्ती परीक्षा में किया।
कुल 202 अभ्यर्थियों के खिलाफ मामला दर्ज
जांचकर्ताओं को संदेह है कि बिचौलियों ने उम्मीदवारों को इन संस्थानों से बैक डेट से जाली डिग्रियां प्राप्त करने में मदद की, ताकि वे पात्रता मानदंड पूरा कर सकें। जेएस विश्वविद्यालय शिकोहाबाद (उत्तरप्रदेश) के सर्वर से प्राप्त डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर एसओजी ने शनिवार को 167 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसके साथ ही जेएस यूनिवर्सिटी व एक अन्य को भी आरोपी बनाया है। कुल 202 अभ्यर्थियों के खिलाफ मामले दर्ज हो चुके हैं।
जेएस यूनिवर्सिटी की 203 में से 202 डिग्री फर्जी पाई गईं
दर्ज एफआइआर के अनुसार एसओजी की जांच में जेएस यूनिवर्सिटी की 203 में से 202 डिग्री फर्जी पाई गईं। ये डिग्रियां सत्र 2017-19, 2018-20, 2019-21, 2020-22 की थीं। कई डिग्रियां सत्र खत्म होने के बहुत समय बाद प्रिंट हुईं, जिससे इनकी सत्यता पर सवाल उठे। बाकी मार्कशीट भर्ती प्रक्रिया के दौरान या उससे ठीक पहले तैयार की गईं। ताज़ा एफआईआर के अनुसार, जेएस विश्वविद्यालय को बीपीएड पाठ्यक्रम में सालाना केवल 100 छात्रों को ही प्रवेश देने का अधिकार है। चार शैक्षणिक सत्रों के अधिकतम 400 वैध स्नातक ही पात्र होने चाहिए थे। फिर भी, 2,082 आवेदक पीटीआई परीक्षा में शामिल हुए।