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राजस्थान: न्यायिक कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर हाईकोर्ट सख्त, काम पर नहीं लौटे तो होगी कड़ी कार्रवाई

राजस्थान हाईकोर्ट ने कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर सामूहिक अवकाश पर गए अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने अवकाश को अवैध बताते हुए काम पर नहीं लौटने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

जयपुरJul 25, 2025 / 07:23 am

Arvind Rao

Rajasthan High Court

Rajasthan High Court (Patrika Photo)

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर एक सप्ताह से आंदोलन कर रहे अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर सख्त रुख दिखाया। कोर्ट ने गुरुवार को सामूहिक अवकाश को अवैध घोषित कर न्यायिक कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि शुक्रवार सुबह दस बजे काम पर नहीं लौटे तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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साथ ही जिला न्यायाधीशों को निर्देश दिया कि स्थानीय कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक की मदद लेकर कामकाज सुचारू बनाए रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। काम पर नहीं आने वाले कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित अन्य सख्त कदम उठाने को भी कहा गया है।


अपील पर सुनवाई के दौरान दिया आदेश


न्यायाधीश अशोक कुमार जैन ने इबरान और अन्य की आपराधिक अपील पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को यह आदेश दिया। अदालती आदेश की पालना में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) मनोज सोनी सुनवाई के दौरान पेश हुए। उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट पेश कर बताया कि कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर जाने से कामकाज ठप हो गया है। इसी दौरान कुछ वकीलों ने भी न्यायिक कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर जाने के दौरान अधीनस्थ अदालतों में कामकाज सुचारु बनाए रखने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने की शिकायत की।


पक्षकार और वकील प्रभावित हो रहे


वकीलों ने कहा कि इस स्थिति के कारण पक्षकार और वकील प्रभावित हो रहे हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि न्यायिक कर्मचारियों के संघ ने रजिस्ट्रार जनरल के स्थान पर मुख्य सचिव के जरिए सीधे मुख्यमंत्री के नाम अभ्यावेदन भेज दिया, जो गंभीर अनुशासनहीनता है। यह भी गंभीर विषय है कि जब मुख्य न्यायाधीश का तबादला हो गया व नए मुख्य न्यायाधीश के कार्यग्रहण करने जा रहे थे, उस अवधि में मुख्य न्यायाधीश को सूचना दिए बगैर कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले गए।


वकील बहिष्कार नहीं कर सकते तो कर्मचारियों ने कैसे किया


कोर्ट ने कहा कि जब वकीलों को न्यायिक कार्य के बहिष्कार का अधिकार नहीं है तो वेतनभोगी कर्मचारी ऐसा कदम कैसे उठा सकते हैं। हाईकोर्ट की पूर्णपीठ की ओर से न्यायिक कर्मचारियों के कैडर पुनर्गठन को लेकर राज्य सरकार को भेजे गए प्रस्ताव पर 25 जुलाई को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होनी है।


हाईकोर्ट के सभी जिला न्यायाधीशों को निर्देश


-स्थानीय कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ बैठक कर वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
-अदालतों में कामकाज सुचारु करने के लिए कलेक्टर सूचना सहायकों और होमगार्ड उपलब्ध कराएं।
-युवा वकीलों से काम लिया जाए और बार भी इस कार्य में सहयोग करें।
-कोई दस्तावेज गायब पाया जाए तो संबंधित न्यायिक कर्मचारी को जिम्मेदार ठहराया जाए।
-अस्थाई रूप से काम करने वालों की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए।
-आदेश नहीं मानने वाले कर्मचारियों और कर्मचारियों को उकसाने वालों पर कार्रवाई की जाए, जिसमें जिले के बाहर तबादला और निलंबन भी शामिल है।
-आवश्यक हो तो सामूहिक अवकाश पर कार्रवाई के लिए आवश्यक सेवा घोषित कर कार्रवाई की जाए।
-28 जुलाई से जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रतिदिन रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट पेश करें।
-रजिस्ट्रार जनरल डीजे से प्राप्त रिपोर्ट से मुख्य न्यायाधीश को अवगत कराएं।

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