बताया जा रहा है कि जिस समय प्लास्टर गिरा, वहां से गुजर रहे कर्मचारी बाल-बाल बच गए, जिससे बड़ा हादसा टल गया। लेकिन यह घटना पिछले 10 दिनों में तीसरी बार हुई है, जिससे सचिवालय प्रशासन की लापरवाही और भवन की संरचनात्मक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
10 दिनों में तीसरी घटना
बताते चलें कि सचिवालय में प्लास्टर गिरने की यह तीसरी घटना है, जिसने कर्मचारियों को दहशत में डाल दिया है। पिछले सप्ताह गेट नंबर 2 के पास और एसएसओ भवन के नजदीक भी ऐसी ही घटनाएं हो चुकी हैं। दोनों बार कोई हताहत तो नहीं हुआ, लेकिन कर्मचारियों की जान हर बार जोखिम में पड़ रही है। सचिवालय में कार्यरत कई कर्मचारियों और अधिकारियों ने बताया कि अब वे अपने केबिन में बैठते समय भी असुरक्षित महसूस करते हैं।
प्रशासन की चुप्पी, न मरम्मत न चेतावनी
हैरानी की बात यह है कि बार-बार हो रही इन घटनाओं के बावजूद सचिवालय प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। न तो भवन की मरम्मत के लिए कोई स्थायी कार्ययोजना बनाई गई है, न ही कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कोई सार्वजनिक चेतावनी जारी की गई है। कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन की उदासीनता से उनकी जान हर दिन खतरे में पड़ रही है। कई कर्मचारी संगठनों ने अब भवन की तकनीकी जांच और तत्काल मरम्मत की मांग उठाई है।
वैकल्पिक व्यवस्था की मांग
सचिवालय में बढ़ते खतरे को देखते हुए कर्मचारी और अधिकारी भवन के कमजोर हिस्सों की तत्काल जांच की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों की एक तकनीकी समिति बनाकर भवन की संरचनात्मक स्थिति का आकलन करने की जरूरत है। इसके अलावा, जहां खतरा अधिक है, वहां कर्मचारियों को अस्थायी रूप से दूसरी जगह स्थानांतरित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए। कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन को उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।