आज हम आजादी के बाद से राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की बात करेंगे, जिन्होंने अलग-अलग उम्र में इस महत्वपूर्ण पद को संभाला। विशेष रूप से हम यह जानेंगे कि राजस्थान का सबसे युवा मुख्यमंत्री कौन रहा? उन्होंने कितने समय तक यह जिम्मेदारी निभाई और सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री कौन थेय़
राजस्थान के सबसे युवा मुख्यमंत्री?
दरअसल, राजस्थान में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था और हीरालाल शास्त्री राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। हालांकि, राजस्थान की राजनीति में सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में मोहनलाल सुखाड़िया का नाम इतिहास में दर्ज है। 31 जुलाई 1916 को जन्मे सुखाड़िया ने 13 नवंबर 1954 को मात्र 38 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने 1954 से 1971 तक लगातार 17 वर्षों तक इस पद पर रहकर एक रिकॉर्ड बनाया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता सुखाड़िया ने अपने कार्यकाल में राजस्थान के आधुनिकीकरण की नींव रखी। सुखाड़िया के नेतृत्व में राज्य में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, और स्वास्थ्य क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की गईं।
उन्होंने सिंचाई परियोजनाओं, सड़क निर्माण, और औद्योगिक विकास पर विशेष ध्यान दिया, जिससे राजस्थान विकास के पथ पर अग्रसर हुआ। उनकी दूरदर्शिता और प्रशासनिक क्षमता ने उन्हें राजस्थान की राजनीति में एक विशेष स्थान दिलाया। सुखाड़िया न केवल सबसे युवा, बल्कि सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्यमंत्री भी रहे। इसके बाद में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के राज्यपाल भी रहे।
झालावाड़ में हुआ था जन्म
मोहन लाल सुखाड़िया का जन्म 31 जुलाई 1916 को राजस्थान के झालावाड़ में हुआ था। उनके पिता का नाम पुरुषोत्तम लाल सुखाड़िया था जो चर्चित क्रिकेटरों में गिने जाते थे। सुखाड़िया जैन परिवार से संबंध रखते थे। राजस्थान के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञों में से एक थे सुखाड़िया जिन्हे ‘आधुनिक राजस्थान का निर्माता’ भी कहा जाता है। सबसे लम्बे समय तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी अब तक उनके नाम है। सुखाड़िया के नाम कुल 6038 दिन सीएम पद पर रहने का रिकॉर्ड है। विवाह के विरोध में बाजार बंद
राजस्थान के सबसे युवा और लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे मोहनलाल सुखाड़िया ने न केवल अपनी राजनीतिक उपलब्धियों से इतिहास रचा, बल्कि निजी जीवन में भी सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ा। उन्होंने आर्य समाज से ताल्लुक रखने वाली इंदुबाला के साथ विवाह किया। यह शादी 1 जून 1938 को ब्यावर के आर्य समाज मंदिर में संपन्न हुई। 23 वर्षीय सुखाड़िया का यह अंतरजातीय विवाह उस समय चर्चा का विषय बन गया था। इस विवाह के विरोध में नाथद्वारा के बाजार बंद रहे।
जानकारों के अनुसार, मोहनलाल सुखाड़िया अपनी पत्नी इंदुबाला को प्यार से ‘इंदु’ कहकर बुलाते थे, जबकि इंदुबाला उन्हें ‘साहब’ कहकर संबोधित करती थीं। दूसरी ओर, आम जनता में सुखाड़िया ‘बाबूजी’ के नाम से लोकप्रिय थे।
उदयपुर विश्वविद्यालय का नामकरण
सुखाड़िया लगातार चार बार उदयपुर विधानसभा से जीतकर विधानसभा पहुंचे। सुखाडिय़ा ने उदयपुर शहर सीट पर चार बार विधायकी की कुर्सी हासिल करने का गौरव हासिल किया और उतनी ही बार वे प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए। मोहन लाल सुखाडिय़ा के नाम पर उदयपुर विश्वविद्यालय भी है। सन् 1984 में इसका नाम भूतपूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा के नाम पर किया गया।
सबसे उम्रदराज कौन बने मुख्यमंत्री?
मोहनलाल सुखाड़िया ने युवा उम्र में मुख्यमंत्री पद संभाला, वहीं भैरोंसिंह शेखावत राजस्थान के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री बने। 23 अक्टूबर 1923 को जन्मे शेखावत ने 4 दिसंबर 1993 को 68 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता शेखावत ने तीन बार (1977-1980, 1990-1992 और 1993-1998) राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में राजस्थान ने विकास के कई नए आयाम छुए। शेखावत का राजनीतिक करियर केवल राजस्थान तक सीमित नहीं रहा। 2002 में वे भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए, जहां उन्होंने सुशील कुमार शिंदे को हराया। 2007 में उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा, लेकिन प्रतिभा पाटिल से हार गए। शेखावत की सादगी और जनता से जुड़ाव ने उन्हें राजस्थान की जनता के बीच लोकप्रिय बनाया।
अन्य प्रमुख मुख्यमंत्री और उनकी उम्र
राजस्थान के अब तक के 13 मुख्यमंत्रियों में अधिकांश 55 वर्ष या उससे कम उम्र में इस पद पर आसीन हुए। केवल दो मुख्यमंत्री ऐसे रहे जिनकी उम्र शपथ ग्रहण के समय 60 वर्ष से अधिक थी। इनमें से एक थे हीरालाल देवपुरा, जिनका जन्म 1925 में हुआ था। उन्होंने 23 फरवरी 1985 को 60 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उनका कार्यकाल केवल 15 दिन (10 मार्च 1985 तक) का रहा।
वसुंधरा राजे: 8 मार्च 1953 को जन्मी वसुंधरा राजे ने 1985 में 32 वर्ष की उम्र में पहली बार विधायक के रूप में राजनीति में कदम रखा। वे 8 दिसंबर 2003 को 50 वर्ष की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बनीं। दूसरी बार 13 दिसंबर 2013 को उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली। राजे ने अपने कार्यकाल में शिक्षा, पर्यटन, और औद्योगिक विकास पर विशेष ध्यान दिया।
अशोक गहलोत: 3 मई 1951 को जन्मे अशोक गहलोत ने 1980 में सांसद के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1 दिसंबर 1998 को 47 वर्ष की उम्र में वे पहली बार मुख्यमंत्री बने। 2008 और 2018 में भी उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली। गहलोत का कार्यकाल सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए जाना जाता है।
हरिदेव जोशी: 17 दिसंबर 1921 को जन्मे जोशी ने 11 अक्टूबर 1973 को 52 वर्ष की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे तीन बार (1973-1977, 1985-1988, और 1989-1990) मुख्यमंत्री रहे।
शिवचरण माथुर: फरवरी 1926 को जन्मे माथुर ने 14 जुलाई 1981 को 55 वर्ष की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री पद संभाला। वे 1981-1985 और 1988-1989 तक इस पद पर रहे। गौरतलब है कि राजस्थान की राजनीति में मोहनलाल सुखाड़िया का नाम सबसे युवा (38 वर्ष) और सबसे लंबे समय (17 वर्ष) तक मुख्यमंत्री रहने के लिए जाना जाता है। वहीं, भैरोंसिंह शेखावत 68 वर्ष की उम्र में सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री बने। इन नेताओं ने अपनी उम्र और अनुभव के आधार पर राजस्थान को विकास के पथ पर ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आजादी के बाद से राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की यह यात्रा न केवल राजनीतिक परिवर्तनों की कहानी है, बल्कि राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास की गाथा भी है।