scriptएसएमएस सहित अन्य बड़े अस्पताल के भवन जर्जर, इलाज से ज्यादा मरीजों को जान का खतरा | Health NSSMs and other big hospitals have dilapidated buildings, patients are more at risk of death than treatment | Patrika News
जयपुर

एसएमएस सहित अन्य बड़े अस्पताल के भवन जर्जर, इलाज से ज्यादा मरीजों को जान का खतरा

राजस्थान में जयपुर के सबसे बड़े सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध एसएमएस, जनाना, महिला और श्वांस रोग संस्थान अस्पतालों के भवनों की हालत जर्जर हो चुकी है। ऐसे में यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जान का खतरा महसूस हो रहा है।

जयपुरMay 15, 2025 / 09:46 am

anand yadav

राजस्थान में जयपुर के सबसे बड़े सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध एसएमएस, जनाना, महिला और श्वांस रोग संस्थान में यदि आप इलाज के लिए आ रहे हैं तो सावधान। अस्पतालों के के पुराने जर्जर भवन मरीजों के लिए खतरा बन गए हैं। एसएमएस और जनाना में हाल ही फॉल्स सीलिंग गिरने की घटनाएं होने के बाद इन सभी भवनों के पुन: निर्माण की दरकार है। सवाई मानसिंह अस्पताल के री-डवलपमेंट के लिए गत वर्ष कॉलेज प्राचार्य की ओर से राज्य सरकार को भेजे प्रस्ताव को फिलहाल अभी तक मंजूरी मिलने का इंतजार है।
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एमएनआइटी का सर्वे बना आधार

मालवीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (एमएनआइटी) की ओर से पूर्व में किए गए एसएमएस अस्पताल के विश्लेषण को आधार बनाते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने यह तैयारी शुरू की है। 88 साल पुराने इस अस्पताल के कई वार्ड और अन्य हिस्सों में आए दिन फॉल्स सीलिंग और प्लास्टर गिरने की घटनाएं होती रहती हैं। बारिश के दौरान तो ऐसी घटनाएं आम हैं। अस्पताल में पानी भी भर जाता है। सामान्य वार्ड के साथ-साथ आइसीयू के मरीजों को भी शिट करना पड़ता है। जनाना अस्पताल में भी लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।

1936 में बना था एसएमएस अस्पताल

सवाई मानसिंह अस्पताल का निर्माण आजादी से पहले 1934 में शुरू हुआ। इसके बाद 11 मार्च 1936 को संचालन शुरू हुआ। अस्पताल में 300 चिकित्सक शिक्षक, 250 रेजिडेंट, 700 से अधिक नर्सिंग स्टाफ सहित करीब 3 हजार से अधिक का अन्य स्टाफ है। अभी 43 वार्ड हैं। राजस्थान से ही नहीं बल्कि आस-पास के राज्यों के मरीज भी इस अस्पताल में पहुंचते हैं।

टावर बनने के बाद पुन: निर्माण


एसएमएस परिसर में 22 मंजिला सहित महिला-जनाना अस्पताल में भी आइपीडी टावर का काम चल रहा है। कार्डियोलॉजी टावर का निर्माण भी अंतिम चरण में है। नए टावर बनने के बाद मुख्य भवन को खाली करवा इसका री-डवलपमेंट करवाया जा सकता है। एसएमएस के आइपीडी टावर की क्षमता करीब 1100 बेड और कार्डियक टावर की करीब 300 बेड है। दुर्घटना के घायलों के लिए ट्रॉमा सेंटर और सुपर स्पेशियलिटी सेंटर पहले से ही है।

इनका कहना है

गत वर्ष ही एसएमएस के री-डवलपमेंट का प्रस्ताव भेजा गया है। वैकल्पिक व्यवस्था होने के बाद इस पर काम शुरू किया जाएगा। डॉ.दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज

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