
एमएनआइटी का सर्वे बना आधार
मालवीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (एमएनआइटी) की ओर से पूर्व में किए गए एसएमएस अस्पताल के विश्लेषण को आधार बनाते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने यह तैयारी शुरू की है। 88 साल पुराने इस अस्पताल के कई वार्ड और अन्य हिस्सों में आए दिन फॉल्स सीलिंग और प्लास्टर गिरने की घटनाएं होती रहती हैं। बारिश के दौरान तो ऐसी घटनाएं आम हैं। अस्पताल में पानी भी भर जाता है। सामान्य वार्ड के साथ-साथ आइसीयू के मरीजों को भी शिट करना पड़ता है। जनाना अस्पताल में भी लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।1936 में बना था एसएमएस अस्पताल
सवाई मानसिंह अस्पताल का निर्माण आजादी से पहले 1934 में शुरू हुआ। इसके बाद 11 मार्च 1936 को संचालन शुरू हुआ। अस्पताल में 300 चिकित्सक शिक्षक, 250 रेजिडेंट, 700 से अधिक नर्सिंग स्टाफ सहित करीब 3 हजार से अधिक का अन्य स्टाफ है। अभी 43 वार्ड हैं। राजस्थान से ही नहीं बल्कि आस-पास के राज्यों के मरीज भी इस अस्पताल में पहुंचते हैं।टावर बनने के बाद पुन: निर्माण
एसएमएस परिसर में 22 मंजिला सहित महिला-जनाना अस्पताल में भी आइपीडी टावर का काम चल रहा है। कार्डियोलॉजी टावर का निर्माण भी अंतिम चरण में है। नए टावर बनने के बाद मुख्य भवन को खाली करवा इसका री-डवलपमेंट करवाया जा सकता है। एसएमएस के आइपीडी टावर की क्षमता करीब 1100 बेड और कार्डियक टावर की करीब 300 बेड है। दुर्घटना के घायलों के लिए ट्रॉमा सेंटर और सुपर स्पेशियलिटी सेंटर पहले से ही है।