मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन मासिह की बेंच ने की। राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने पक्ष रखा, जबकि याचिकाकर्ता प्रसून गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और न्याय मित्र के तौर पर के. परमेश्वरन मौजूद रहे।
ये था पूरा मामला
यह मामला तब शुरू हुआ जब सांगानेर ओपन जेल को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए राज्य सरकार ने पहले दी गई 17,800 वर्ग मीटर जमीन के अलावा 14,940 वर्ग मीटर अतिरिक्त जमीन देने का प्रस्ताव रखा। सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर 2024 को रजिस्ट्रार को जमीन का निरीक्षण करने और जेल शिफ्टिंग की संभावना जांचने का आदेश दिया था। रजिस्ट्रार ने 6 दिसंबर 2024 को अपनी रिपोर्ट में कहा कि जेल को शिफ्ट करना संभव है। उन्होंने सुझाव दिया कि 17,800 और 14,940 वर्ग मीटर जमीन का उपयोग नई जेल बनाने के लिए किया जाए, जबकि बची 22,232 वर्ग मीटर जमीन पर अस्पताल बनाया जाए।
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह रजिस्ट्रार की सिफारिशों के अनुसार नई जेल बनाएगी और जब तक यह पूरी नहीं हो जाती, पुरानी जेल को खाली नहीं किया जाएगा। अस्पताल का निर्माण भी धीरे-धीरे शुरू होगा ताकि कैदियों की स्थिति पर कोई बुरा असर न पड़े।
कोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दायर करे, जिसमें रजिस्ट्रार की सभी सिफारिशों का पालन करने की बात हो। इस निर्णय के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से प्रतीक्षित अस्पताल परियोजना को अंतिम स्वीकृति दे दी है, जिससे क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे को व्यापक रूप से बढ़ावा मिलेगा और साथ ही साथ कैदियों के अधिकार भी पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।