बच्चों के साथ रहती हैं अकेली
बासंता 9 वर्ष से ई रिक्शा चलाकर अपना घर चला रही है। वह अपने तीन बच्चों के साथ अकेली रहती है। शादी के बाद उन्हें आए दिन घरेलु हिंसा का सामना करना पड़ता था। लेकिन बासंता ने ज़ुल्म सहने की जगह संघर्ष का रास्ता चुना। पढ़ी-लिखी नहीं होने से उन्हें किसी कम्पनी में नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने रिक्शा चलाने का निर्णय किया। उनका का कहना है कि वह पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन उन्हें अपने अधिकारों का ज्ञान है और सरकार की सभी योजनाओं का भी पूरा लाभ उठाती है। उसने अपने घर में सीसीटीवी कैमरा भी लगवाया हुआ है, जो उसके फोन से कनेक्ट है, ताकि काम के दौरान वो अपने बच्चों पर भी नजर रख सके। बासंता ने अपनी जैसी कई महिलाओं को रिक्शा चलाना भी सिखाया। उन्हें महिला सशक्तीकरण के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।
अपने बच्चों के लिए मैं काफी हूं- बासंता
बासंता अब अपने 3 बच्चों के साथ जयपुर में अकेली रहती है। 13 साल की उम्र में ही उसका बाल विवाह कर दिया गया। शादी के बाद ससुराल वालों और पति का रवैया उसके लिए ठीक नहीं था। धीरे-धीरे वह घरेलु हिंसा का शिकार होती चली गई। ससुराल वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई तो सभी लोगों ने उसका साथ छोड़ दिया। पैसे की कमी होने के कारण किसी भी तरह की कोई कानूनी सहायता नहीं मिली। इन मुश्किलों से जूझते हुए बासंता ने फैसला किया कि अब और ज़ुल्म नहीं सहेगी और अपने बच्चों के साथ जयपुर आ गई। बासंता ने बताया कि जब उसने रिक्शा चलाना शुरू किया तो आस-पास के लोग उसे ताने देते थे। इन सब की परवाह किए बिना वह आगे बढ़ती रही। अब वही लोग उसकी तारीफ करते नहीं थकते।