क्या है ढोल का बाग मामला?
राजस्थान के जयपुर शहर के निकट स्थित डोल का बाढ़ विवाद में बना हुआ है। जहां पर्यावरण प्रेमियों, स्थानीय निवासी हरा-भरा जंगल को बचाने के लिए डटे हुए है। राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास निगम (रीको) की ओर से फिनटेक पार्क और पीएम यूनिटी मॉल जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं। रीको का दावा है कि यह परियोजना राज्य में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी। साथ ही रीको का कहना है कि सभी पर्यावरण नियमों का पालन किया जा रहा है और जैव विविधता को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। हालांकि स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा सिरे से खारिज किया जा रहा है। उनका आरोप है कि इस परियोजना के लिए सैकड़ों बीघा जमीन पर पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई की जा रही है। इससे क्षेत्र का प्राकृतिक संतुलन खतरे में पड़ सकता है।
सरकार और रीको का पक्ष
राज्य सरकार और रीको का कहना है कि यह जमीन सरकारी स्वामित्व की है और इसका उपयोग सार्वजनिक हित में किया जा रहा है। इस परियोजना से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और यह जयपुर को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा। साथ ही उनका कहना है कि पेड़ों की कटाई के बदले अन्य स्थानों पर वृक्षारोपण किया जाएगा।
कांग्रेस नेताओं ने दिया समर्थन
जयपुर के डोल का बाढ़ को लेकर चल रहे आंदोलन को कांग्रेस नेताओं ने समर्थन दिया। टीकाराम जूली और गोविंद सिंह डोटासरा ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाई। जूली ने कहा कि सरकार को पर्यावरण और स्थानीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। जबकि डोटासरा ने आरोप लगाया कि यह परियोजना पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है। दोनों नेताओं ने मांग की कि इस मुद्दे पर जन सुनवाई हो और पेड़ों की कटाई रोकी जाए। वहीं, सचिन पायलट ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और उनके साथ एकजुटता दिखाई। उन्होंने कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन यह पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की कीमत पर नहीं होना चाहिए। उनका जोर था कि अगर प्रकृति, पर्यावरण और पशु-पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके, तो वह पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर संवेदनशील रुख अपनाने की मांग की।