इन सभी पर योजना के अंतर्गत राजकीय राशि के दुरुपयोग का आरोप है। निलंबन काल में डॉ. मनोज जैन और डॉ. मनीषा का मुख्यालय निदेशक जनस्वास्थ्य और डॉ. केसर सिंह का प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य रहेगा। गौरतलब है कि वित्त विभाग की ओर से इस योजना में फर्जीवाड़ों की जांच के लिए विशेष आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सेल काम कर रही है। राजस्थान पत्रिका ने सबसे पहले 30 मार्च को इसके फर्जीवाड़ों का खुलासा करना शुरू किया था।
निजी क्लिनिक से बनाई आउटडोर पर्चियां
वित्त विभाग की जांच में सामने आया है कि सरकारी डॉक्टर ने अपने निजी क्लिनिक से आउटडोर की 500 पर्चियां तैयार की। उन पर लिखी दवाइयों का दो मेडिकल स्टोर से करोड़ों रुपये का फर्जी बिल बनाया और भुगतान के लिए भेज दिया। जांच में सामने आया कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री, रोग के लक्षण और बिना जांच लिखे ही आउटडोर पर्ची पर दवा लिखी गई थी। पर्चियों पर एडिटिंग भी की गई। इसी तरह सिर्फ मात्रा के अंतर वाले एक जैसे नाम में भी कांट छांट की गई।