खूबसूरती को कैद करने की होड़, सुरक्षा से समझौता
आज सोशल मीडिया का ज़माना है। हर व्यक्ति अपने हर पल को इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और रील्स के ज़रिए दुनिया को दिखाना चाहता है। इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन जब यह जुनून सोच-समझ को पीछे छोड़ देता है, तब समस्या खड़ी होती है। डेंजर ज़ोन में जाकर (Social Media Craze) फोटोशूट करना, झरनों के किनारों तक फिसलन भरे पत्थरों पर चढ़ना, बहाव के बीच में खड़े होकर रील बनाना, ये सब हर साल बस्तर जैसे इलाकों में जानलेवा हादसों का कारण बन रहे हैं।सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम अब भी नहीं
बस्तर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ देशभर से आने वाले पर्यटक घुमने और पिकनिक मनाने आते हैं। लेकिन अधिकतर स्थलों पर सुरक्षा के पुता इंतजाम नहीं हैं। जलप्रपातों के करीब जाकर फोटो लेते समय हादसे की आशंका बनी रहती है। पहले भी कई लोगों की जानें जा चुकी हैं, इसके बावजूद प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
छत्तीसगढ़ के इन जलप्रपात में हो चुके हैं हादसे
तीरथगढ़ जलप्रपात कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित यह जलप्रपात कांगेर नाले पर बना है और 300 फीट ऊंचाई से गिरता है। हाल ही में यहां विशाखापट्टनम से आए एक युवक की ऊंचाई से गिरकर मौत हो चुकी है। लगभग हर साल यहां से हादसों की खबर आती रहती है।मानसून में अन्य जलप्रपात भी खतरनाक
चित्रधारा, शिवगंगा, कांगेरधारा, झूलना दरहा, रानी दरहा, भैसा दरहा जैसे मौसमी झरनों में भी मानसून के दौरान पर्यटकों की भीड़ बढ़ रही है। लेकिन यहां भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।कितनी कीमत है एक ‘लाइक’ की?
रील्स के लिए कोई रेल की पटरी पर लेटता है, कोई नदी में छलांग लगाता है, तो कोई सैल्फी के लिए खाई के मुहाने तक जा पहुंचता है।प्रश्न ये है: क्या सोशल मीडिया की वाहवाही और वर्चुअल लाइक्स की कीमत इतनी बड़ी होनी चाहिए कि इसके लिए जान ही दांव पर लगा दी जाए?
सोशल मीडिया पर ‘लाइक्स’ की होड़, जोखिम की अनदेखी
आज का युग सोशल मीडिया का है। हर पर्यटक चाहता है कि उसके पास ऐसी तस्वीरें हों जो दूसरों से अलग हों, जो इंस्टाग्राम या फेसबुक पर लाइक्स बटोरें। लेकिन इसी ‘परफेक्ट मोमेंट’ की (Social Media Craze) तलाश कई बार जानलेवा साबित होती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल दर्जनों लोग सेल्फी लेते वक्त जान गंवा देते हैं। इनमें अधिकांश घटनाएं जलप्रपात, पहाड़ और रेलवे ट्रैक जैसे संवेदनशील स्थानों पर होती हैं।