आंकड़े क्या कहते हैं?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और बिहार पुलिस के राज्य स्तरीय आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में अपराध में तेजी से वृद्धि हुई है। 2015 से 2024 तक बिहार में अपराध के मामलों में 80.2% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत केवल 23.7% बढ़ा।हर साल मामले बढ़े हैं अपराध
2015 से लेकर अब तक बिहार में हर साल अपराध के मामले बढ़े हैं, सिर्फ 2016, 2020 (कोविड महामारी के दौरान) और 2024 में मामूली गिरावट देखी गई। 2017 में अपराध में सबसे अधिक 24.4% की वृद्धि हुई। 2022 में बिहार में 3.5 लाख अपराध दर्ज हुए, जो 2021 से 23.3% अधिक था। वहीं, 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 3.54 लाख तक पहुंचा और 2024 में मामूली गिरकर 3.52 लाख पर आ गया। 2025 में जून तक ही 1.91 लाख अपराध दर्ज हो चुके हैं, जो 2024 की तुलना में आधे से अधिक है।
प्रति लाख आबादी के हिसाब से कहां खड़ा है बिहार?
हालांकि, आबादी के अनुपात में अपराध की दर राष्ट्रीय औसत से कम रही है। 2022 में बिहार में प्रति लाख 277 अपराध दर्ज हुए, जबकि राष्ट्रीय औसत 422 था। 2015 के बाद दिल्ली और केरल में सबसे अधिक अपराध दर दर्ज की गई, जिसका एक कारण इन राज्यों में मामलों के पंजीकरण की दर अधिक होना भी माना जाता है।हिंसक अपराधों में राष्ट्रीय औसत से आगे बिहार
हालांकि, बिहार में हिंसक अपराधों की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है। हत्या के मामलों की बात करें तो 2015 में 3,178 हत्या के मामलों की तुलना में 2022 में यह संख्या घटकर 2,930 हो गई, फिर भी उत्तर प्रदेश के बाद बिहार हर साल हत्या के मामलों में दूसरे नंबर पर रहा।हत्या के पीछे संपत्ति विवाद मुख्य कारण
2015-2022 के बीच संपत्ति विवाद बिहार में हत्या का सबसे प्रमुख कारण रहा है। 2018 में संपत्ति विवाद से जुड़ी 1,016 हत्याएं दर्ज की गईं, जो इस अवधि में सर्वाधिक थी।सियासी प्रतिक्रियाएं
बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने जिस जंगलराज को खत्म करने की बात कही थी, आज वही जंगलराज फिर लौट आया है। वहीं, चिराग पासवान ने कहा कि “राज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। हालांकि, नीतीश कुमार का दावा है कि उन्होंने बिहार को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में कई कड़े कदम उठाए हैं। लेकिन बढ़ते अपराध के आंकड़े उनके दावों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।पुलिस ने जुलाई में हुए 11 संगीन हत्याकांडों का किया पर्दाफाश
राजधानी पटना सहित बिहार के अलग-अलग जिलों में जुलाई महीने के दौरान हुई दर्जनभर हत्या और गोलीबारी की वारदातों ने प्रदेश में सनसनी फैला दी थी। इन घटनाओं में गोपाल खेमका हत्याकांड और पारस हॉस्पिटल गोलीकांड जैसी चर्चित घटनाएं भी शामिल रहीं। हालांकि, बिहार पुलिस ने पुलिस मुख्यालय की निगरानी में तेजी से कार्रवाई करते हुए इनमें से 11 संगीन अपराधों का सफलतापूर्वक उद्भेदन कर लिया और मुख्य शूटरों समेत लगभग सभी नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।एक मामले में फरार है आरोपी
पुलिस मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिर्फ एक मामला ऐसा है जिसमें आरोपी अभी फरार है। यह मामला पटना के रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र में मिनी मार्ट संचालक विक्रम कुमार झा की दुकान में घुसकर की गई हत्या का है। इस मामले में पुलिस की तकनीकी जांच जारी है और जल्द गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।गोपाल खेमका हत्याकांड में गिरफ्तारी
पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र में व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या के मुख्य शूटर उमेश यादव समेत साजिशकर्ता अशोक साव और अन्य नामजद अपराधियों को पुलिस ने घटना के कुछ ही दिनों में गिरफ्तार कर लिया। इस हत्याकांड ने राजधानी में व्यापारियों और आम लोगों में दहशत पैदा कर दी थी।पारस हॉस्पिटल गोलीकांड में कार्रवाई
इसी तरह, पटना के राजाबाजार क्षेत्र स्थित पारस हॉस्पिटल में कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की हत्या में शामिल मुख्य शूटर समेत सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। अपराधियों ने अस्पताल में घुसकर गोलियां चलाई थीं, जिससे शहर में भय का माहौल बना था।अन्य वारदातों में तेजी से कार्रवाई
– मसौढ़ी थाना क्षेत्र में क्रिकेट मैच के दौरान अम्पायर के फैसले पर विवाद में सत्येंद्र कुमार की हत्या के मामले में सभी नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली गई।– खगौल थाना क्षेत्र में संपत्ति विवाद में हत्या के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
– बख्तियारपुर थाना क्षेत्र में प्रेम प्रसंग और अवैध संबंध को लेकर हुई हत्या में सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं।
– पटना सिटी के रानीतलाब थाना क्षेत्र में बालू घाट के वर्चस्व को लेकर हुई गोलीबारी में कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, शेष की तलाश जारी है।
– पिपरा थाना क्षेत्र में चुनावी रंजिश में सुरेंद्र प्रसाद की हत्या और सुल्तानगंज थाना क्षेत्र में प्रेम प्रसंग में जितेंद्र मेहता की हत्या मामले में भी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर मुख्य आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।