शास्त्रों में नहीं लिखा सांपों को दूध पिलाना
ये सांप चांदी, तांबा, लोहा या अन्य किसी धातु से निर्मित हो सकते हैं या दीवारों पर गोबर व हल्दी से बनाकर भी इनका षोडशोपचार पूजन (worship symbols of snakes) किया जा सकता है। इस तरह का पूजन उनके सम्मान और प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए उनका आभार व्यक्त करना होता है। कई तरह के दोषों से मुक्ति के लिए भी इसकी मान्यता है। सांपों को दूध पिलाना किसी भी शास्त्र में वर्णित नहीं है। ऐसा करने से जीव हत्या का दोष लगता है।
स्कंद पुराण में इस धाम का उल्लेख
मार्कंडेय धाम का उल्लेख स्कंद पुराण में है। इसकी खासियतों स सीताराम दास दहा ने आमजनों को अवगत कराया था। इसके लोगों की आस्था इतनी बढ़ी कि जो लोग नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर नहीं जा सकते, वे यहां नर्मदा किनारे दोष निवारण पूजन कराने लगे हैं।- विचित्र दास महाराज, मार्कंडेय धाम तिलवाराघाट
ऐसे हुई पूजा की शुरुआत
नर्मदा के दक्षिण तट तिलवाराघाट स्थित मार्कंडेय धाम में इस साल भी सामूहिक काल सर्प एवं पितृ दोष निवारण पूजन होगा। तिलवाराघाट के दक्षिण तट पर स्थित मार्कंडेय धाम का उल्लेख स्कंद पुराण के रेवा खंड शूल भेद में मिलता है। ये तट पितरों, नाग, गंधर्व व यक्षों का निवास माना जाता है। पुराण के अनुसार महर्षि मार्कंडेय ने यहां तपस्या की थी। सदियों पुराना विशाल व वृक्ष हजारों ऋषि मुनियों की तपोस्थली का गवाह रहा है। इसके नीचे शिवलिंग व वासुकी नागपास यंत्र स्थापित है। करीब 30 पहले परमहंस सीताराम दास दद्दा महाराज ने मार्कंडेय धाम के रहस्यों व शास्त्रों में उल्लेखित खूबियों से लोगों का परिचय कराया।