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जबलपुर

देश भर में प्रसिद्द हैं इस शहर में गणेश और दुर्गाजी की प्रतिमाएं, खासियत जानकार आप भी कहेंगे बहुत खूब

देश भर में प्रसिद्द हैं इस शहर में गणेश और दुर्गाजी की प्रतिमाएं, खासियत जानकार आप भी कहेंगे बहुत खूब

जबलपुरJul 29, 2025 / 12:11 pm

Lalit kostha

Ganesh Chaturthi 2025

Ganesh Chaturthi 2025

Ganesh Chaturthi 2025: संस्कारधानी के गणेशोत्सव और दशहरा की अपनी एक अलग पहचान है। इनकी खासियत है कि यहां की प्रतिमाएं लोगों को दशकों से लुभाती रही हैं। मनमोहनी और जीवंत सी लगने वाली प्रतिमाओं को बनाने का सिलसिला शुरू हो गया है। मूर्तिकारों ने मन की कल्पनाओं को घास, बांस, मिट्टी में समेटकर गणेश जी, दुर्गा जी की मनमोहनी प्रतिमाओं को आकार देना शुरू कर दिया है। सबसे अच्छी बात ये है कि शहर के मूर्तिकार ईको फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाने के लिए जाने जाते हैं। वे न तो पीओपी का उपयोग कर रहे हैं और न ही हानिकारक कैमिकल वाले रंगों से प्रतिमाएं रंगते हैं। साल दर साल मूर्तिकारों में भी जलाशयों को प्रदूषण मुक्त रखने को लेकर जागरुकता आ रही है।

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Ganesh Chaturthi 2025

Ganesh Chaturthi 2025: मिट्टी और घास के साथ प्राकृतिक रंगों का कर रहे उपयोग

  • जलाशयों को प्रदूषण मुक्त बनाने में दे रहे सहयोग
  • पीओपी की गणेश प्रतिमाओं को शहरवासियों ने भी नकारा
  • मिट्टी की मूर्तियों की बढ़ी डिमांड

Ganesh Chaturthi 2025: कभी पीओपी की प्रतिमा नहीं बनाई

मूर्तिकार विकास कोष्टा ने बताया वे पिछले एक दशक से प्रतिमाएं बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने विसर्जित होने वाली कोई भी प्रतिमा पीओपी से नहीं बनाई, जो डिमांड करते हैं उन्हें भी मना कर देते हैं। उन्होंने बताया यंग मूर्तिकार नेचर और आस्था के बीच गुड मैसेज देने के लिए ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं। सार्वजनिक पंडालों से लेकर घरों में रखे जाने वाले गणेश जी के भक्त अब प्राकृतिक रंगों व ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की डिमांड कर रहे हैं। पीओपी की प्रतिमाओं को लोगों ने टोटल बाहर कर दिया है। इस साल जितने भी ऑर्डर मिले हैं वे सभी ईको फ्रेंडली मिट्टी से बने गणेश प्रतिमाओं के हैं।
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Ganesh Chaturthi 2025: पौधा बनकर रहेंगे घर पर

मूर्तिकार संतोष चक्रवर्ती ने बताया हमारे क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा मूर्तिकार हैं। जो मिट्टी, गेरू, पीली मिट्टी, चारकोल, चूना, लाल मिट्टी, चाक मिट्टी, गोंद, रूई आदि नेचुरल चीजों से गणेश जी व दुर्गा जी की मूर्तियां बनाते हैं। कुछ साल पहले तक कई मूर्तिकार पीओपी मिक्स करके प्रतिमाओं को बनाते थे, लेकिन अब उन्होंने भी हानिकारक रंगों व पीओपी का काम बंद कर दिया है। कई युवा मूर्तिकार ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं में बीज आदि रख रहे हैं, ताकि वे विसर्जन के बाद घर के आंगन में पवित्र पौधे के रूप में विराजमान रहें।
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Ganesh Chaturthi 2025: पर्यावरण के लिए सही कदम

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. अजय खरे ने बताया ईको फ्रेंडली प्रतिमाएं पर्यावरण व जल संरक्षण के लिए एक उचित कदम है। क्योंकि पीओपी और प्लास्टिक मिक्स कैमिकल से बनी प्रतिमाओं में खतरनाक रसायनिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। यह रंग न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के लिए भी काफी हानिकारक होते हैं। शहर के कुछ मूर्तिकार पेपर मैश व गोबर से भी गणेश प्रतिमाएं बनाने लगे हैं। ये मूर्तियां विसर्जन के बाद आसानी से मिट्टी के साथ घुल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं। बाहर से आने वाली प्रतिमाएं भी अब मिट्टी से बनी होती हैं। यह जागरुकता के साथ जलाशयों को बचाने की एक अच्छी मुहिम है।

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