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इंदौर में ‘पत्रिका की-नोट’ आज स्वतंत्र पत्रकारिता की भूमिका चुनौती व संभावना पर होगी चर्चा

पत्रिका समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चन्द्र कुलिश की जन्मशती वर्ष के तहत पत्रिका की नोट का आयोजन, ‘नए भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता की भूमिका: चुनौती और संभावना’ विषय पर अतिथि वक्ता देंगे उद्बोधन, तो शाम पांच बजे होटल शेरेटन ग्रैंड पैलेस में शाम पांच बजे से होने वाले कार्यक्रम मे् सीएम डॉ. मोहन यादव, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी का संबोधन…

इंदौरMay 20, 2025 / 08:22 am

Sanjana Kumar

editor in chief patrika group gulab kothari

editor in chief patrika group gulab kothari in indore

MP News: पत्रिका समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चन्द्र कुलिश की जन्मशती वर्ष के तहत आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज मंगलवार 20 मई को इंदौर में पत्रिका की-नोट (Patrika Key Note) का आयोजन किया जाएगा। इसमें ‘नए भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता की भूमिका: चुनौती और संभावना’ विषय पर अतिथि वक्ता उद्बोधन देंगे। होटल शेरेटन ग्रैंड पैलेस (Hotel Sheraton Grand Palace) में शाम पांच बजे से होने वाले कार्यक्रम को सीएम डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav), पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी (Editor in Chief Patrika Group Gulab Kothari), विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, लेखक और ट्रैवलर धरा पांडे, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अमय खुरासिया संबोधित करेंगे।

स्त्री और पुरुष का मूल स्वरूप पहचानकर देनी होगी शिक्षा

‘शिक्षा में सिर्फ विषय पढ़ाए जा रहे हैं। यह शिक्षा बुद्धिमान तो बना रही है, पर विवेकशील और समझदार नहीं। ऐसे में संवेदनाएं खत्म हो रही हैं। मानवता का स्तर गिर रहा है। स्त्री अपनी सबसे बड़ी पूंजी ममता, वात्सल्य और करुणा से दूर होकर दिव्यता भूल रही है। मां के रूप में स्त्री में पोषण का भाव रुक गया। मां को साध्वी व साधक की तरह देखें, जो दिव्यता संतान तक पहुंचाती है। मां शरीर के साथ आत्मा भी गढ़ती है।’

‘स्त्री मन की स्वामिनी है, वो बुद्धि से नहीं मन से जीती है’

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने सोमवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के तक्षशिला परिसर में ‘स्त्री देह से आगे’ विषय पर संवाद में यह बात कही। उन्होंने कहा, महिलाओं में दिव्यता का विकास नियमित होना चाहिए, स्त्रैण भाव बना रहना चाहिए। सृष्टि निर्माण में स्त्री और पुरुष के मूल स्वरूप को पहचान कर शिक्षा को उस दिशा में ले जाना जरूरी है। डॉक्टर-इंजीनियर बनने में चार से पांच साल लगते हैं, पर मां नौ माह में जीव को इंसान बनाती है। उसे संस्कार देकर भविष्य निर्माण का जिम्मा संभालती है। पूरे जीवन अपने लिए नहीं जीती। स्त्री मन की स्वामिनी है, वह बुद्धि से नहीं, मन से जीती है। संवाद में कोठारी ने महिलाओं के अस्तित्व, दिव्यता और महत्त्व के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की।

स्पर्धा की कीमत स्त्री चुका रही

कोठारी ने कहा, स्पर्धा में खड़े रहने के लिए स्त्री बुद्धि का पोषण करना चाहती है, जिसकी कीमत उसे चुकानी पड़ रही है। स्त्री व पुरुष के संबंधों की मिठास कम हो रही है। देरी से शादी, संतान को जन्म देने में आनाकानी का परिणाम भी भुगतना पड़ रहा है। इस मौके पर देवी अहिल्या विवि के कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई ने कहा प्रकृति ने पुरुष और स्त्री को अलग-अलग बनाया। दोनों को अपने गुण नहीं छोड़ने चाहिए। दोनों का अर्धनारीश्वर रूप ही उनका संपूर्ण विकास है।

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