हुब्बल्ली के गब्बुर गली स्थित रामदेव मंदिर परिसर में आयोजित कथा में उन्होंने समाज को संदेश देते हुए कहा कि अपने बच्चों को इतना काबिल बनाओ कि वे अपने जीवन में स्वयं को संभाल सकें। विशेषकर बेटियों की शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि बेटी पढ़ेगी तो कुल को शिक्षित करेगी। शिक्षा और ज्ञान ऐसा धन है जो जीवन के अंतिम क्षण तक साथ रहता है।
कथावाचिका ने कहा कि स्वाभिमान आत्मा का आभूषण है, जबकि अभिमान पतन का कारण बनता है। धर्म से जुडऩे का अर्थ है अपने मन में चिंतन करना। आत्मा निर्मल होगी तभी परमात्मा का मार्ग मिलेगा।
उन्होंने कहा कि माता-पिता, सास-ससुर, गौ, साधु-संत की सेवा को ही सच्ची सेवा मानना चाहिए। दरवाजे पर साधु-संत आएं तो समझो भगवान आए हैं। यह भाव रखकर सेवा करो। कथावाचिका ने समाज में व्याप्त प्रवृत्तियों पर चिंता जताई कि आज लोग कुत्तों को पालते हैं लेकिन गायों को भगा देते हैं। उन्होंने कहा, गाय के दर्शन से अकाल मृत्यु नहीं होती, गाय में करुणा और ममता होती है।
कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण ने कहा कि बुजुर्गों के पास जीवन के हर सवाल का जवाब है। उनके अनुभवों से घर का वातावरण सुदृढ़ होता है। अलग रहने में सुख नहीं है, यह केवल थोड़ी देर की शांति है। परिवार में साथ रहने से ही जीवन की समस्याओं का समाधान मिलता है।
बाबा रामदेव मरूधर सेवा संघ हुब्बल्ली के सचिव एवं कथा के चेयरमैन मालाराम देवासी बिठूजा ने बताया कि शिवमहापुराण में रोजाना अलग-अलग प्रसंगों पर प्रकाश डाला जा रहा है। कथावाचिका सरल भाषा में कथा का रसपान करा रही हैं। कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से सायं 6 बजे तक रखा गया है। देवासी ने बताया कि शनिवार को लुम्बाराम चौधरी, हीरालाल राजपुरोहित एवं तारासिंह राजपुरोहित ने आरती एवं प्रभावना का लाभ लिया। इस अवसर पर देवासी समाज के अध्यक्ष नेथीराम देवासी, दर्जी समाज के पूर्व अध्यक्ष बस्तीमल दर्जी, धर्मेन्द्र भाई माली, सोहनलाल खत्री, जेठालाल श्रीमाली, विजयकुमार अग्रवाल, नरपतसिंह राजपुरोहित समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।