स्वास्थ्य पर भारी पड़ा पद का बोझ? (Jagdeep Dhankhar Resignation Reason)
जगदीप धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि डॉक्टरों की सलाह पर और अपनी सेहत को प्राथमिकता देते हुए वे यह कदम उठा रहे हैं। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) का हवाला देते हुए तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देने की बात कही। उनके इस पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया गया था लेकिन उनकी बीमारी का सटीक विवरण नहीं दिया गया जिसने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया।
दिल की धड़कनें और अचानक आए संकट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जगदीप धनखड़ को 9 मार्च 2025 को अचानक सीने में दर्द और बेचैनी की शिकायत के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) में रखा गया और वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम उनकी निगरानी कर रही थी। उस समय उनकी हालत स्थिर बताई गई थी और 12 मार्च को उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। हालांकि ऐसा लगता है कि उनकी सेहत पूरी तरह ठीक नहीं हुई क्योंकि इसके बाद भी उनकी तबीयत बिगड़ती रही। Jagdeep Dhankhar Health Story : जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, दिल से जुड़ी कई परेशानियों का खतरा भी बढ़ जाता है। आइए समझते हैं कि कौन-कौन सी दिक्कतें हो सकती हैं: दिल की नसों में रुकावट आना – जिससे दिल तक खून ठीक से नहीं पहुंच पाता और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
हार्ट फेल होना – यानी दिल कमज़ोर होकर सही तरीके से खून नहीं पंप कर पाता। धड़कनों का अनियमित होना – कभी बहुत तेज़, कभी बहुत धीमी या अचानक रुक जाना। दिल के वाल्व सख्त या मोटे हो जाना – जिससे खून का बहाव रुक-रुक कर होता है।
अचानक दिल का काम करना बंद कर देना (कार्डियक अरेस्ट) – एकदम से सांस और धड़कन रुक सकती है। दिल की मांसपेशियों का कमज़ोर होना (कार्डियोमायोपैथी) – जिससे दिल ठीक से काम नहीं कर पाता।
धनखड़ को दिल से जुड़ी गंभीर समस्या
सूत्रों के हवाले से यह भी पता चला है कि धनखड़ को दिल से जुड़ी गंभीर समस्या थी, जिसका लंबे समय से इलाज चल रहा था। कुछ खबरों में यह भी बताया गया कि इस साल की शुरुआत में उन्हें नैनीताल में भी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। उनकी बीमारी की सटीक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनकी सेहत इतनी नाजुक थी कि डॉक्टरों ने उन्हें तनाव से दूर रहने और पूर्ण आराम करने की सलाह दी थी। यह भी गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन उनका इस्तीफा आया। कुछ हफ्ते पहले, जून 2025 में, उन्हें उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान बेहोश होते भी देखा गया था जिसके बाद उन्हें चिकित्सीय सहायता मिली और आराम करने की सलाह दी गई। ये घटनाएं उनके बिगड़ते स्वास्थ्य की ओर इशारा कर रही थीं।
उपराष्ट्रपति का पद: संवैधानिक सम्मान या असीम तनाव?
उपराष्ट्रपति का पद केवल एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और जिम्मेदारियों से भरा पद है। वे राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करना होता है। राज्यसभा में अक्सर गरमागरम बहसें और राजनीतिक तनाव देखने को मिलता है जिसे संभालना अपने आप में एक चुनौती है। उपराष्ट्रपति के तौर पर उन्हें कई बार विपक्ष के तीखे सवालों और आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा होगा। यह सब तनाव उनकी सेहत पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता था। डॉक्टरों की सलाह शायद यही थी कि वे इस अत्यधिक तनावपूर्ण माहौल से बचें और अपनी सेहत को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। उनके इस्तीफे के पत्र में भी यह साफ झलकता है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाना चाहते थे, लेकिन खराब सेहत के कारण ऐसा करना उनके लिए संभव नहीं रहा। जगदीप धनखड़ का यह कदम हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्तियों को भी अपने स्वास्थ्य के आगे झुकना पड़ता है, और कभी-कभी सबसे महत्वपूर्ण निर्णय भी व्यक्तिगत स्वास्थ्य और कल्याण के इर्द-गिर्द घूमते हैं। उनका इस्तीफा यह भी दर्शाता है कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए भी स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना कितना आवश्यक है।