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बरेली

एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में हुआ रुहेलखंड क्षेत्र का पहला लिवर बाईपास

एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में रुहेलखंड क्षेत्र का पहला टिप्स (ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट) प्रोसीजर सफलतापूर्वक किया गया। इस प्रोसीजर को आम बोलचाल में लिवर बाईपास के नाम से ज्यादा जाना जाता है। इससे छह माह से अधिक समय से जलोदर (पेट में तरल पदार्थ के जमाव) की समस्या से पीड़ित नैनीताल के गांव भुजियाघाट निवासी राम सिंह (44 वर्ष) का सफल उपचार हुआ।

बरेलीJul 25, 2025 / 09:56 pm

Avanish Pandey

एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में रुहेलखंड क्षेत्र के पहले लिवर बाईपास के बाद मरीज राम सिंह के साथ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डा.शिवम गुप्ता, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डा. नम्रता सिंह, क्रिटिकल केयर इंचार्ज डा.ललित सिंह, एनेस्थीसिएसिस्ट डा.गीता कार्की, डा.नीरज प्रजापति, डा.अमित वार्ष्णेय और टीम के अन्य सदस्य।

बरेलीः एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में रुहेलखंड क्षेत्र का पहला टिप्स (ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट) प्रोसीजर सफलतापूर्वक किया गया। इस प्रोसीजर को आम बोलचाल में लिवर बाईपास के नाम से ज्यादा जाना जाता है। इससे छह माह से अधिक समय से जलोदर (पेट में तरल पदार्थ के जमाव) की समस्या से पीड़ित नैनीताल के गांव भुजियाघाट निवासी राम सिंह (44 वर्ष) का सफल उपचार हुआ। राम सिंह के उपचार में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. शिवम गुप्ता और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. नम्रता सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों ने एनेस्थीसिया विभाग, क्रिटिकल केयर और मेडिसिन विभाग के सहयोग से 13 जुलाई 2025 को रुहेलखंड क्षेत्र का पहला ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट (TIPS) प्रोसीजर सफलतापूर्वक किया। दो दिन स्वस्थ लाभ के बाद डिस्चार्ज होकर राम सिंह अपने घर चले गए।

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हल्द्वानी निवासी मदन सिंह बताते हैं कि उनकी पत्नी के भाई राम सिंह (44 वर्ष) काफी समय से पेट की समस्याओं से परेशान थे। थकान, जी मिचलाना, उल्टी और उल्टी में खून निकलना, पानी बनने से पेट का फूलना, पैरों में सूजन जैसी तकलीफ के इलाज के लिए करीब छह माह पहले उन्हें हल्द्वानी में दिखाया गया। जहां लिवर सिरोसिस का पता चला। लेकिन कोई फायदा न होने पर उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वहां भी तकलीफ कम नहीं हुईं। हालांकि इस बीच डाक्टरों ने उनके पेट से करीब 40-50 किलो पानी जरूर निकाला। ऐसे में राम सिंह को 10 जुलाई को श्रीराम मूर्ति स्मारक मेडिकल कालेज लाया गया। यहां पहले भी उनकी दूसरी तकलीफों का इलाज हो चुका था। गैस्ट्रो विभाग में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डा. शिवम गुप्ता ने राम सिंह का इलाज शुरू किया। राम सिंह के पेट से पानी निकाला गया। लेकिन पूर्ण निदान के लिए डा.शिवम ने इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डा.नम्रता सिंह विमर्श किया। जिन्होंने ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट (TIPS) प्रोसीजर अपनाने को कहा। राम सिंह और उनके तीमारदारों ने इसके लिए सहमति दी। 13 जुलाई 2025 को इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट डॉ. नम्रता सिंह और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. शिवम गुप्ता ने सफलतापूर्वक ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट (TIPS) प्रोसीजर किया। डा.शिवम कहते हैं कि रुहेलखंड क्षेत्र में पहली बार ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट (TIPS) प्रोसीजर किया गया। इसे आम बोलचाल मे लिवर बाईपास के नाम से जाना जाता है। रुहेलखंड क्षेत्र का पहला लिवर बाईपास हमारे संस्थान में होना, हम सबके लिए बड़ी उपलब्धि है। लिवर सिरोसिस के इस प्रोसीजर की सफलता में एनेस्थीसिया विभाग, क्रिटिकल केयर विभाग और मेडिसिन विभाग का सहयोग महत्वपूर्ण रहा। अब हम इस क्षेत्र में इस तरह के अत्याधुनिक प्रोसीजर करने में सक्षम हैं।


क्यों पड़ती है ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट की जरूरत

गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डा.शिवम गुप्ता कहते हैं कि लिवर सिरोसिस होने पर, लिवर से हृदय तक जाने वाली नस में रक्त के थक्के बनने पर, लिवर में अत्यधिक आयरन (हीमोक्रोमेटोसिस) होने पर, हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी की गंभीर स्थिति पर पोर्टल हाइपरटेंशन (पोर्टल शिरा का बढ़ा हुआ दबाव और बैकअप) होता है। गंभीर स्थिति में पेट, ग्रासनली या आंतों की नसों से रक्तस्राव होने के साथ ही पेट में तरल पदार्थ के जमाव (जलोदर) की समस्या भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज के उपचार के लिए लिवर ट्रांसप्लांट और ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट (TIPS) जैसे दो ही विकल्प होते हैं। लिवर ट्रांसप्लांट बेहद खर्चीला होने के साथ ही डोनर की स्थिति पर भी निर्भर होता है। ऐसे में ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट का उपयोग किया जाता है।


क्या है ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट

इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डा.नम्रता सिंह कहती हैं कि ट्रांसजुगुलर इंट्रा हैपेटिक पोर्टो सिस्टमिक शंट (TIPS) कोई शल्य चिकित्सा प्रक्रिया नहीं है। यह लिवर में दो रक्त वाहिकाओं के बीच नया कनेक्शन बनाने की प्रक्रिया है। गंभीर स्थिति में लिवर के उपचार के लिए एक्स-रे की मदद से इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट इसका उपयोग करता है। इस प्रक्रिया में गर्दन की जुगुलर नस में कैथेटर (एक लचीली नली) डालते हैं। कैथेटर के सिरे पर एक छोटा गुब्बारा और एक धातु का जालीदार स्टेंट (नली) होता है। एक्स-रे मशीन की मदद से कैथेटर को लिवर की एक नस में ले जाया जाता है। और स्पष्ट देखने के लिए फिर नस में डाई (कंट्रास्ट पदार्थ) डालते हैं। इसके बाद स्टेंट की मदद से पोर्टल शिरा को एक लिवर शिरा से जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 60 से 90 मिनट लगते हैं।

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