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COVID-19 Vaccines and Karnataka Cardiac Deaths : कर्नाटक में हार्ट अटैक से मौत पर आई रिपोर्ट में क्या पता चला?

COVID Vaccine Side Effects Heart : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बयान के बाद ये एक बड़ा सवाल बन चूका है क्या कोविड वैक्सीन से बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा। एक्सपर्ट पैनल ने दिया साफ जवाब है। कोविड वैक्सीन और हार्ट से जुड़ी मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।

भारतJul 07, 2025 / 11:49 am

Manoj Kumar

COVID Vaccine Heart Attack

COVID Vaccine Heart Attack : क्या COVID Vaccine से बढ़ रहा Heart Attack? एक्सपर्ट पैनल ने दिया साफ जवाब (फोटो सोर्स : Freepik)

COVID-19 Vaccines and Karnataka Cardiac Deaths : पिछले कुछ समय से कोविड वैक्सीन (COVID Vaccine) और अचानक दिल के दौरे (Heart Attack) के बीच संबंध को लेकर खूब चर्चा हो रही है। खासकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी कुछ ऐसे बयान दिए जिससे यह बहस और तेज हो गई। उन्होंने संकेत दिए थे कि हासन जिले में हुई कुछ हार्ट संबंधी मौतों का संबंध शायद कोविड वैक्सीन से हो सकता है। लेकिन अब कर्नाटक सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ पैनल ने इस पर बड़ा और साफ-साफ जवाब दिया है जो सभी अटकलों पर विराम लगाता दिख रहा है।

विशेषज्ञों की राय: वैक्सीन से खतरा नहीं बल्कि सुरक्षा है (Karnataka COVID vaccine heart study)

जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के निदेशक डॉ. के.एस. रविंद्रनाथ की अगुवाई में बनी इस विशेषज्ञ टीम ने साफ कहा है कि उन्हें कोविड वैक्सीन (COVID Vaccine) और हार्ट से जुड़ी मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं मिला है। बल्कि उनकी रिपोर्ट तो ठीक इसके उलट बात कहती है कोविड वैक्सीन हृदय संबंधी घटनाओं के खिलाफ सुरक्षात्मक साबित हुई है!
इस टीम ने जयदेव अस्पताल में भर्ती 45 साल या उससे कम उम्र के मरीजों पर एक गहन अध्ययन किया। इसमें उन मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री, पहले हुए कोविड संक्रमण और टीकाकरण की स्थिति का गहराई से विश्लेषण किया गया। 1 अप्रैल से 31 मई के बीच अस्पताल में भर्ती कुल 251 मरीजों पर यह अध्ययन किया गया।

क्या कहते हैं अध्ययन के आंकड़े?

रिपोर्ट के अनुसार, इन 251 मरीजों में से:

87 को मधुमेह (डायबिटीज) था

102 को उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) था

35 को कोलेस्ट्रॉल संबंधी समस्या थी
40 के परिवार में हृदय रोगों का इतिहास था

111 धूम्रपान करते थे

वहीं 77 मरीज ऐसे भी थे जिनमें कोई पारंपरिक जोखिम कारक नहीं था।

यह जानना भी दिलचस्प है कि 19 मरीजों को कोविड संक्रमण हो चुका था और इनमें से भी 7 डायबिटीज, 7 हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे। सबसे अहम बात ये है कि 251 में से 249 मरीजों को कोविड वैक्सीन लगी हुई थी। इनमें से 144 को कोविशील्ड, 64 को कोवैक्सीन लगी थी जबकि 52 को याद नहीं था कि उन्हें कौन सी वैक्सीन मिली थी।

तो फिर अचानक मौतों का कारण क्या है?

पैनल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि अचानक होने वाली हृदय संबंधी मौतों के पीछे कोई एक कारण नहीं है। बल्कि यह कई कारणों का परिणाम है। इसमें व्यवहारिक (जैसे शराब या ड्रग्स का अधिक सेवन, या मौत से 48 घंटे पहले बहुत ज्यादा शारीरिक गतिविधि), आनुवंशिक (परिवार में अचानक मौत का इतिहास), और पर्यावरणीय जोखिम शामिल हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोविड संक्रमण के तुरंत बाद (इमीडिएट पोस्ट-कोविड फेज) दिल से जुड़ी घटनाओं में थोड़ी वृद्धि देखी जा सकती है क्योंकि शरीर में सूजन बढ़ जाती है लेकिन लंबे समय में (एक साल से ज्यादा) ऐसा नहीं होता। पैनल ने यह भी खारिज किया कि ‘लॉन्ग कोविड’ अचानक कार्डियक घटनाओं के लिए जिम्मेदार है।
विशेषज्ञों के अनुसार, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान और असामान्य कोलेस्ट्रॉल जैसे सामान्य जोखिम कारकों की बढ़ती व्यापकता ही अचानक होने वाली हृदय संबंधी घटनाओं में वृद्धि का सबसे अच्छा स्पष्टीकरण है।

राजनीतिक बयानबाजी और विज्ञान की सच्चाई

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के दावों पर बायोकॉन की प्रमुख किरण मजूमदार शॉ और भाजपा जैसी पार्टियों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। किरण मजूमदार शॉ ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा था कि वैक्सीन (COVID Vaccine) को जल्दबाजी में मंजूरी देने की बात गलत है और यह जनता को गुमराह करती है। उन्होंने जोर दिया कि वैक्सीन ने लाखों जानें बचाई हैं और इसके विकास के पीछे विज्ञान और डेटा-आधारित प्रक्रियाएं थीं। भाजपा ने भी मुख्यमंत्री पर फर्जी खबर फैलाने का आरोप लगाया, खासकर तब जब राज्य सरकार खुद फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए बिल लाने की बात कर रही है।
यह अध्ययन एक बार फिर इस बात पर जोर देता है कि कोविड वैक्सीन (COVID Vaccine) सुरक्षित और प्रभावी है। अचानक होने वाली मौतों के पीछे अक्सर लाइफ स्टाइल , आनुवंशिकी और पहले से मौजूद बीमारियां जैसे कई कारण होते हैं। इसलिए हमें अफवाहों पर ध्यान देने के बजाय वैज्ञानिक तथ्यों पर भरोसा करना चाहिए और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए एक संतुलित लाइफ स्टाइल अपनानी चाहिए। अपने डॉक्टर से नियमित जांच कराएं और किसी भी चिंता पर उनसे सलाह लें। यह रिपोर्ट न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है जो वैक्सीन से जुड़े डर को कम करने में मदद कर सकती है।

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